Germany-China Relations: जर्मनी ने हैम्बर्ग बंदरगाह में चीन के निवेश को दी मंजूरी, कई देशों ने जताई चिंता
Germany-China Relations हैम्बर्ग बंदरगाह में चीन के निवेश का मामला अब पश्चिमी देशों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। दुनिया भर के देशों ने चीन-जर्मनी के इस फैसले को राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे के रूप में देखा है।
बर्लिन, एजेंसी। जर्मनी ने हैम्बर्ग बंदरगाह में चीन के निवेश को मंजूरी दे दी है। अमेरिका स्थित प्रकाशन पोलिटिको की रिपोर्ट के अनुसार, चीन और जर्मनी दोनों देशों के मंत्रियों ने विवादास्पद हैम्बर्ग बंदरगाह सौदे में समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। चीन और जर्मनी के सरकारी मंत्रियों ने चीन की शिपिंग ग्रुप कॉस्को को विवादास्पद हैम्बर्ग बंदरगाह समझौते में छोटी हिस्सेदारी लेने की अनुमति देने के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
कई देशों ने जताई चिंता
अमेरिका स्थित प्रकाशन पोलिटिको के अनुसार, कई देशों ने दोनों देशों के बीच राजनीतिक रणनीति को राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे के रूप में देखा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीनी फर्म ने हैम्बर्ग बंदरगाह के टर्मिनलों में से एक को अपने कब्जे में ले लिया है।
मंत्रालयों की चिंताओं के बाद समझौते को दी मंजूरी
जर्मनी और चीन के बीच यह फैसला तब हुआ है, जब मीडिया रिपोर्टों से पता चला है कि कई मंत्रालयों की चिंताओं के बावजूद जर्मनी के नेता ओलाफ स्कोल्ज ने इस सौदे को आगे बढ़ाने की कोशिश की। पोलिटिको के मुताबिक, डील को अंतिम मंजूरी मिलने के बाद चीन की शिपिंग ग्रुप कोस्को को टर्मिनल चलाने वाली 35 फीसदी शिपिंग कंपनी के बजाय सिर्फ 24.9 फीसदी खरीदने की इजाजत होगी।
संवेदनशील बना ये मुद्दा
बता दें कि रूस के यूक्रेन पर आक्रमण ने इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से संवेदनशील बना दिया है, क्योंकि चीन की एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में उभरने की कोशिश ने पश्चिमी देशों के बीच सुरक्षा चिंताओं को जन्म दिया है। HHLA के प्रवक्ता हैंस जॉर्ग हेम्स ने कहा कि उनकी कंपनी जर्मन सरकार के साथ बातचीत की है।
क्या बोले HHLA के प्रवक्ता हैंस जॉर्ग हेम्स
हेम्स ने कहा कि कॉस्को के शेयरों को कम करने की संभावना पर चर्चा की गई थी। उन्होंने कहा हम इसकी परिकल्पना कर सकते हैं, लेकिन यह सीएसपीएल (कॉस्को शिपिंग) पर भी निर्भर है। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि 31 अक्टूबर को निवेश की समीक्षा के लिए कानूनी समय सीमा समाप्त होने से पहले अंतिम समझौता हो जाएगा।
चीनी फर्म के पास पहले से है ये जिम्मेदारी
उल्लेखनीय है कि चीनी फर्म कॉस्को के पास रॉटरडैम और एंटवर्प में यूरोप के दो सबसे बड़े बंदरगाहों में पहले से ही हिस्सेदारी है। चीन एथेंस में पीरियस के बंदरगाह को भी नियंत्रित करता है और डुइसबर्ग में एक अंतर्देशीय रेल टर्मिनल का विस्तार करने की अपनी योजना शुरू करने के लिए भी पूरी तरह से तैयार है।