कट्टरपंथियों के चंगुल में शेख हसीना! बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा के लिए कितना कारगर होगा ये कानून, जानें- एक्सपर्ट व्यू
सरकार का मानना है कि इससे हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कानूनी प्रक्रिया में आसानी होगी। आखिर क्या है यह नया कानून ? क्या है इसका मकसद ? क्या इस कानून से हिंदू अल्पसंख्यकों की रक्षा हो सकेगी ?
By Ramesh MishraEdited By: Updated: Tue, 26 Oct 2021 05:53 PM (IST)
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। बांग्लादेश में पूजा पंडाल में हमले के बाद देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर एक नई बहस छिड़ गई है। इसमें एक तरफ कट्टपंथियों की बड़ी जमात है तो दूसरी और बांग्लादेश की शेख हसीना की सरकार है। हसीना सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का पूरा आश्वासन दे रही है। बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्ष स्वरूप की चर्चा के बाद वहां की सरकार अब एक नए कानून को लाने की तैयारी में है। दरअसल, हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले के बाद बांग्लादेश सरकार एक कानून बनाने जा रही है। सरकार का मानना है कि इससे हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कानूनी प्रक्रिया में आसानी होगी। आखिर क्या है यह नया कानून ? क्या है इसका मकसद ? क्या इस कानून से हिंदू अल्पसंख्यकों की रक्षा हो सकेगी ?
कानून के पीछे क्या है सरकार का तर्क दरअसल, बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का मत है कि अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले की घटनाओं के अनेक मामलों में फैसले नहीं आ पाते। इसकी मुख्य वजह गवाह हैं। सरकार का कहना है कि गवाहों के अभाव में यह सुनवाई पूरी नहीं हो पाती। इसलिए सरकार गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक नया कानून बनाने जा रही है। दूसरे, अल्पसंख्यकों पर हमले के मामले में सुनवाई की प्रक्रिया बेहद लंबी होती है। कभी-कभी इन पर कोई फैसला भी नहीं हो पाता। बांग्लादेश के कानून मंत्री ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले की घटनाओं की सुनवाई के परिपेक्ष में सरकार यह कानूनी पहल करने जा रही है।
कानून हिंदू अल्पसंख्यकों की संतुष्टि का एक औजार इस मामले में प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि बांग्लादेश में अगले वर्ष आम चुनाव होने हैं। हसीना सरकार की नजर अपने अल्पसंख्यक वोटरों पर है। वह अल्पसंख्यकों को भरोसा दिलाने में जुटी है कि वह कट्टपंथियों के सामने नतमस्तक नहीं है और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए तत्पर है। प्रो. पंत ने कहा कि यही कारण है कि हसीना सरकार के एक मंत्री ने पहले बांग्लादेश के इस्लामिक राष्ट्र के मामले में एक सार्वजनिक बयान दिया। उन्होंने देश में दोबारा धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की वकालत की। हालांकि, कट्टरपंथियों के दबाव के आगे यह सारा मामला दब गया। कट्टरपंथियों ने चेतावनी दी कि अगर देश में इस्लामिक राष्ट्र के मामले में कोई छेड़छाड़ की गई तो यह हिंसा और उग्र होगी। इसलिए यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब सरकार ने हिंदू अल्पसंख्यकों की संतुष्टि के लिए एक नए कानून की बात करके उनको संतुष्ट करने की कोशिश कर रही है।
आखिर क्या है यह नया कानून इस कानून के तहत गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। कानून के मुताबिक अगर कोई गवाहों से किसी तरह का दुर्व्यवहार करता है तो इसे भी अपराध माना जाएगा और ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान होगा। इस कानून में गवाहों की गोपनीयता बनाए रखने की भी व्यवस्था की गई है। इस कानून के पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि देश की सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2015 में गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय को गवाहों की सुरक्षा सुरक्षित करने के लिए पहल करने का निर्देश दिया था। दरअसल, बांग्लादेश की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 9 वर्षों में बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय खासकर हिंदू समुदाय पर हमले की तीन हजार से अधिक घटनाएं हुई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी भी मामले में शायद ही कोई फैसला आया हो या न्याय कार्य पूरा किया गया हो।
कट्टरपंथियों के दबाव में सरकार प्रो. पंत ने कहा कि सरकार ने इस कानून के पीछे सुप्रीम कोर्ट के फैसले की नजीर दी है। उन्होंने कहा कि सरकार की दलील से यह संकेत जाता है कि बांग्लादेश की हसीना सरकार कट्टरपंथियों के दबाव में है। इस कानून को लाने में सुप्रीम कोर्ट की दलील देना देश में बढ़ते कट्टरपंथ की ओर इशारा करता है। इसलिए इस कानून का मकसद हिंदू वोटरों को साधना ज्यादा है और सुरक्षा की चिंता कम है। हसीना सरकार इस कानून के जरिए यह संकेत देना चाहती है कि वह अल्पसंख्यक हिंदुओं की चिंता ही नहीं कर रही हैं, बल्कि उसके समाधान के लिए भी प्रयासरत हैं।
बांग्लादेश के सूचना मंत्री ने किया ऐलान, धर्मनिरपेक्ष बनेगा देशहाल में बांग्लादेश के सूचना मंत्री मुराद हसन ने घोषणा की थी कि बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश है। उन्होंने कहा था कि राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर्रहमान द्वारा बनाए गए 1972 के संविधान की देश में वापसी होगी। भारत के अथक प्रयास के बाद बांग्लादेश आजाद हुआ था। इसलिए भारत के प्रभाव में आकर मुजीबुर्रहमान ने एक धर्मनिरपेक्ष देश की कल्पना की थी। उन्होंने इस्लामिक राष्ट्र की परिकल्पना का त्याग किया था। हसन ने आगे कहा था कि हमारे शरीर में स्वतंत्रता सेनानियों का रक्त है, हमें किसी भी हाल में 1972 के संविधान की ओर वापस जाना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा था कि संविधान की वापसी के लिए मैं संसद में बोलूंगा। सूचना मंत्री ने कहा था कि मुझे नहीं लगता कि इस्लाम हमारा राष्ट्रीय धर्म है। उन्होंने कहा कि जल्द ही हम 1972 के धर्मनिरपेक्ष संविधान को फिर अपनाएंगे। हम 1972 का संविधान वापस लाएंगे। इस बिल को हम पीएम शेख हसीना के नेतृत्व में संसद में अधिनियमित करवाएंगे।