Sri Lanka Crisis: श्रीलंका में फिर से शुरू हुआ प्रदर्शन, कर बढ़ोत्तरी के विरोध में हजारों लोगों ने किया मार्च
श्रीलंका में एक बार फिर से लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे अपना पहला बजट पेश करने वाले हैं। इससे पहले ही लोग नई सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं और कर को कम करने की मांग कर रहे हैं।
By Versha SinghEdited By: Updated: Thu, 03 Nov 2022 08:30 AM (IST)
कोलंबो, एजेंसी। श्रीलंका के लोगों को नया राष्ट्रपति मिलने के बाद भी उनकी परेशानियां कम नहीं हो रही है। सबसे बड़े शहर कोलंबो में सैकड़ों लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। वहीं, बुधवार को सैकड़ों लोगों ने बढ़ाए गए कर, मुद्रास्फीति और लोगों के खिलाफ शासन-प्रशासन के दमन के विरोध में मार्च किया। बता दें कि श्रीलंका के लोग पिछले 70 सालों में सबसे खराब वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं।
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विपक्षी राजनीतिक दलों ने किया प्रदर्शन
वहीं, कोलंबो में इस मार्च का आयोजन सरकार विरोधी विपक्षी राजनीतिक दलों, ट्रेड यूनियनों और नागरिक समाज समूहों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था। इस मार्च के दौरान पुलिस ने इसे रोक दिया था क्योंकि मार्च करने वाले लोगों ने शहर के एक मध्य भाग तक पहुंचने की कोशिश की थी, जहां राष्ट्रपति का घर और अन्य मंत्रालय स्थित हैं।इस सरकार ने लोगों को दिया सिर्फ 'कर'
सीलोन टीचर के केंद्रीय सचिव जोसेफ स्टालिन ने कहा, लोग मुश्किल से एक दिन में तीन बार भोजन कर रहे हैं। इस सरकार ने अधिक से अधिक कर लगाने के अलावा लोगों का समर्थन करने के लिए कुछ भी नहीं किया है। हमें समाधान चाहिए और हम उसके लिए लड़ते रहेंगे।
2 करोड़ से अधिक लोगों ने छोड़ा द्वीप
बता दें कि श्रीलंका इस साल विदेशी मुद्रा भंडार में रिकार्ड कमी के चलते गहरे वित्तीय संकट की चपेट में है। जिसके कारण ही यहां पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस समेत खाने-पीने की चीजें और दवा भी कई गुना महंगी हो गई हैं। श्रीलंका को इंपोर्ट किए जाने वाले सामान के बदले भुगतान करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है और लगभग 2 करोड़ से ज्यादा लोगों ने द्वीप को छोड़ दिया है।14 नवंबर को विक्रमसिंघे पेश करेंगे अपना पहला बजट
वहीं, इस साल जुलाई में ही लोगों द्वारा व्यापक विरोध प्रदर्शन के चलते पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे देश छोड़कर भाग गए थे। जिसके बाद प्रदर्शनकारियों द्वारा उनके कार्यालय और आवास पर धावा बोल दिया गया था।उनके उत्तराधिकारी राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे 14 नवंबर को अपना पहला बजट पेश करेंगे। इस बजट में देश की जर्जर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 2.9 अरब डालर का कर्ज हासिल करने के लिए इस बजट में लोगों पर भारी टैक्स वृद्धि की जा सकती है।
हालांकि, बढ़े हुए कर, जिसमें कार्पोरेट और व्यक्तिगत आय कर शामिल होंगे, को 30% के उच्च स्तर तक बढ़ा दिया गया है, जो अक्टूबर में 66% तक बढ़ती मुद्रास्फीति के शीर्ष पर आ गया है। प्रदर्शनकारियों ने मार्च के दौरान "रानिल घर जाओ" के नारे लगाए और नए चुनाव का आह्वान किया। उन्होंने सरकार पर विरोध करने वाले नेताओं पर नकेल कसने और उनमें से दो को जेल भेजने के लिए कठोर आतंकवाद विरोधी कानून का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया।
मुख्य विपक्षी दल समागी जाना बालवेगया (एसजेबी) के वरिष्ठ सदस्य एरण विक्रमरत्ने ने कहा, हर किसी को कानून के दायरे में होना चाहिए, यही लोकतंत्र है। लेकिन यह सरकार विरोध करने वाले नेताओं का दमन करने के लिए आतंकवाद विरोधी कानूनों का इस्तेमाल कर रही है और इसे रोका जाना चाहिए। सभी को इस सरकार के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। हमें अपने अधिकारों के लिए लड़ना होगा।