भविष्य की ऊर्जा प्रणाली में हाइड्रोजन की होगी अहम भूमिका, सावधानी भी है जरूरी
Green Hydrogen हाइड्रोजन और अर्थव्यवस्था को लेकर चर्चा तेज हो गई है तो करीब से देखने पर पता चलता है कि भविष्य की किसी भी ऊर्जा प्रणाली में हाइड्रोजन की अहम भूमिका होगी। लेकिन इसके विस्तार को सावधानी से डिजाइन किया जाना चाहिए।
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Sat, 14 Jan 2023 02:46 PM (IST)
लंदन/बुडापेस्ट: Green Gydrogen: पूरी दुनिया में ईंधन की खपत लगातार बढ़ रही है। ऐसे समय में उर्जा के नए विकल्प भी तलाशे जा रहे हैं। अब हाइड्रोजन का उपयोग करने और बनाने वाली परियोजनाओं की संख्या और पैमाना तेजी से बढ़ रहा है। ये गैस जो कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन किए बिना जलने पर ऊर्जा छोड़ती है। यदि इसका निर्माण योजना के अनुसार होता है, तो समुद्र के नीचे 2.5 बिलियन यूरो (GBP 2.18 बिलियन) की पाइपलाइन 2030 तक स्पेन से फ्रांस तक 'ग्रीन हाइड्रोजन' लाएगी।
किया जा रहा है काम
अमेरिका में, कुछ पावर स्टेशनों को अपग्रेड किया जा रहा है ताकि हाइड्रोजन को जीवाश्म गैस के साथ मिश्रित किया जा सके। नॉर्वे की तेल कंपनी इक्विनोर ब्रिटेन में 1,800 मेगावाट "ब्लू हाइड्रोजन" पावर प्लांट बनाने के लिए थर्मल एसएसई के साथ मिलकर काम कर रही है।
चीन भी कर रहा है काम
इस बीच, चीन ने मार्च में एक योजना का अनावरण किया जिसमें 2025 तक 50,000 हाइड्रोजन वाहनों की शुरुआत की जाएगी। दिसंबर की शुरुआत में पहले हाइड्रोजन ईंधन वाले ट्रैक्टर और फोर्कलिफ्ट्स को ग्वांगडोंग प्रांत में एक नए संयंत्र में असेंबली लाइन से बाहर निकलते देखा गया था।कई तरह से होता है तैयार
हाइड्रोजन कई तरह से तैयार किया जाता है। इसे सरल बनाने के लिए रंगीन स्पेक्ट्रम का उपयोग किया जाता है। 'ग्रे' और 'ब्राउन/ब्लैक; हाइड्रोजन क्रमशः जीवाश्म गैस (मीथेन) और कोयला (भूरा या काला कोयला) से आता है।ये समझने के लिए कि हाइड्रोजन हाइप क्या है, ये जानना आवश्यक है कि ये कैसे काम करता है। हाइड्रोजन एक रंगहीन, गंधहीन गैस है जो हमारे आस-पास के वातावरण में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। लेकिन इसे ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने के लिए इसे निकालना पड़ता है।
खास तरीके से निकलता है ग्रीन हाइड्रोजन
एक खास तरीके से निकालने की विधि के कारण ही ग्रीन हाइड्रोजन 'ग्रीन' है। नवीकरणीय स्रोतों के उपयोग से जीरो एमिशन को सुनिश्चित किया जा सकता है। ग्रीन हाइड्रोजन को इलेक्ट्रोलिसिस की प्रक्रिया के माध्यम से निकाला जाता है, जिसमें एलीमेंट्स को अलग करने के लिए एक तरल के माध्यम से करंट पास करना होता है। अन्य तरीकों में कोयले का गैसीकरण या स्टीम मीथेन रिफॉर्मेशन (एसएमआर) शामिल हैं। हालांकि, इन विधियों में कार्बन और अन्य ग्रीनहाउस गैसें भी रिलीज होती हैं जो कि इसे अधारणीय बनाती हैं। विधि और रिलीज होने वाली ग्रीनहाउस गैस की मात्रा के आधार पर अंततः निकलने वाली हाइड्रोजन को 'भूरा', 'ग्रे' या 'नीला' कहा जाता है।