Antarctica Iceberg: अंटार्कटिका में टूटा लंदन के आकार का बड़ा आइसबर्ग, आकार लगभग 600 वर्ग मील
अंटार्कटिक की बर्फ की चट्टान से ग्रेटर लंदन के आकार का एक विशाल आइसबर्ग टूट कर अलग हो गया है। ये घटना ब्रिटेन के हैली रिसर्च स्टेशन के पास हुई है। इस बड़े आइसबर्ग (हिमखंड) का आकार लगभग 600 वर्ग मील (1550 वर्ग किमी) है।
By Jagran NewsEdited By: Versha SinghUpdated: Wed, 25 Jan 2023 09:37 AM (IST)
लंदन। अंटार्कटिक की बर्फ की चट्टान (Antarctic ice shelf) से ग्रेटर लंदन के आकार का एक विशाल आइसबर्ग (an iceberg the size of london) (हिमखंड) टूट गया है। ये घटना ब्रिटेन के हैली रिसर्च स्टेशन (heli research station) के पास हुई है।
नेशनल जियोग्राफिक की रिपोर्ट के मुताबिक, आइसबर्ग के टूटने की इस प्रक्रिया को कैल्विंग (Ice calving) कहा जाता है। इस बड़े आइसबर्ग (हिमखंड) का आकार लगभग 600 वर्ग मील (1550 वर्ग किमी) है। रविवार को 492 फीट मोटी (150 मीटर) ब्रंट बर्फ की चट्टान से अलग हो गया।
150 मीटर मोटी बर्फ की चट्टान से टूटकर अलग हुआ आइसबर्ग
विशाल आइसबर्ग (Iceberg) का आकार 1,550 स्क्वायर किलोमीटर है। यह रविवार को 150 मीटर मोटी बर्फ की चट्टान से टूटकर अलग हो गया। हालांकि, यह घटना क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) से जुड़ी हुई नहीं है।ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे (british antarctic survey ,BAS) की मानें तो वैज्ञानिकों को पहले से ही इस घटना की उम्मीद थी। दरअसल, कैल्विंग का प्रोसेस बिल्कुल नेचुरल प्रोसेस होता है। जब बर्फ की चट्टानें ज्यादा मोटी हो जाती हैं, तब ऐसा होता है। BAS अंटार्कटिका में बर्फ की चट्टानों की स्थिति की निगरानी करता है।
BAS ने यह भी बताया कि बर्फ की चट्टान का इलाका हाल ही में कैल्विंग की घटनाओं से अप्रभावित रहा है। यहां एक रिसर्च स्टेशन भी स्थित है। BAS ने कहा कि एक चट्टान की बड़ी हिम शिला शांत होने से बर्फ के प्रवाह में तेजी आ सकती है और क्षेत्र में अन्य दरारों के व्यवहार को भी प्रभावित कर सकती हैं।
दो सालों में है यह दूसरी घटना
बता दें कि आइसबर्ग के टूटने की ये घटना दो साल के भीतर दूसरी घटना है, जब एक बड़ा आइसबर्ग (हिमखंड) चट्टान से अलग हुआ है। फरवरी 2021 में A74 के रूप में जाना जाने वाला 1,270 वर्ग किमी का हिमखंड 150 मीटर मोटी ब्रंट बर्फ की चट्टान से टूट गया था। BAS ने कहा कि नया हिमखंड ए74 से थोड़ा बड़ा है। इसका नाम बाद में यूएस नेशनल आइस सेंटर द्वारा रखा जाएगा।
एक प्रेस विज्ञप्ति में बीएएस के निदेशक प्रोफेसर डेम जेन फ्रांसिस ने कहा, हमारे ग्लेशियोलॉजिस्ट और ऑपरेशन टीमें इस घटना की उम्मीद कर रही थीं। जीपीएस उपकरणों के स्वचालित नेटवर्क का इस्तेमाल करके बर्फ की चट्टान की माप दिन में कई बार की जाती है।