'बांग्लादेश की बेहतरी के लिए ध्यान दे इंडिया', BNP नेता के भारत को लेकर बदले सुर
बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफे के बाद भारत को लेकर वहां के नेताओं के सुर बदले हुए हैं। देश में दूसरी सबसे प्रभाव वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के वरिष्ठ नेता आमिर खासरू महमूद चौधरी ने कहा है कि उनकी पार्टी भारत के साथ मजबूत संबंध चाहती है। उन्होंने भारत से अनुरोध किया है कि वह बांग्लादेश की बेहतरी के लिए उस पर ध्यान दें।
पीटीआई, ढाका। बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफे के बाद भारत को लेकर वहां के नेताओं के सुर बदले हुए हैं। देश में दूसरी सबसे प्रभाव वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के वरिष्ठ नेता आमिर खासरू महमूद चौधरी ने कहा है कि उनकी पार्टी भारत के साथ मजबूत संबंध चाहती है। उन्होंने भारत से अनुरोध किया है कि वह बांग्लादेश की बेहतरी के लिए उस पर ध्यान दें।
इसी प्रकार से कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख डा. शफीकुर रहमान ने भी भारत के साथ संबंधों को मजबूत किए जाने पर जोर दिया है। बीएनपी नेता चौधरी ने कहा- पूर्व राजनयिकों, नौकरशाहों, राजनीतिक लोगों और थिंक टैंक ने मिलकर ऐसा हौवा खड़ा किया कि शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग के अतिरिक्त बांग्लादेश में सभी भारत विरोधी हैं, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। हम अपने सबसे ज्यादा नजदीक पड़ोसी भारत के साथ मजबूत संबंध चाहते हैं। विदित हो कि पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बीएनपी को हसीना की अवामी लीग का कट्टर विरोधी माना जाता है।
खालिदा जिया को किया गया घर में कैद
हसीना सरकार के कार्यकाल में खालिदा जिया को कई मामलों में दोषी ठहराकर घर में कैद कर दिया गया था। पांच अगस्त को हसीना के इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद खालिदा जिया की सजा को माफ करते हुए उन्हें रिहा किया गया है। चौधरी ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि नई दिल्ली बांग्लादेश के मिजाज को समझने में विफल रहा। उसने बांग्लादेश में सभी अंडे एक ही टोकरी में रखने की नीति अपनाई। भारत ने बांग्लादेश में केवल एक ही पार्टी और एक ही परिवार के समर्थन की नीति बनाई जबकि उसे सभी को साथ लेकर चलना चाहिए था।भारत पड़ोसी के नाते है महत्वपूर्ण : डा. रहमान
जमात-ए-इस्लामी प्रमुख रहमान ने कहा, हम पड़ोसी देश हैं और पड़ोसी बदले नहीं जा सकते हैं। इसलिए भारत के साथ हमारे संबंध महत्वपूर्ण हैं और उन्हें और मजबूत किया जाना चाहिए। अपनी पार्टी से प्रतिबंध हटने के एक दिन बाद एक अखबार से साक्षात्कार में डा.रहमान ने कहा, जमात के भारत के साथ ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। लेकिन शेख हसीना के साढ़े पंद्रह वर्षों के शासन में ये संबंध ठंडे पड़ गए थे लेकिन हम एक बार फिर से उन संबंधों को बढ़ाना चाहते हैं।
'जमात शांति और लोकतंत्र में विश्वास रखती है'
एक प्रश्न के उत्तर में डा. रहमान ने कहा, जमात भारत या किसी अन्य देश की आलोचना करने में विश्वास नहीं रखती है। जमात शांति और लोकतंत्र में विश्वास रखती है। उसका हिंसा में कतई विश्वास नहीं है।अगर जमात का कोई सदस्य हिंसा या आतंक की गतिविधि में शामिल पाया जाता है तो हम देश से उसके लिए माफी मांगेंगे और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का समर्थन करेंगे।