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India-Taiwan Trade: भारत से व्यापार बढ़ाने की तेजी में ताइवान, राजदूत बोले- एफटीए को जल्द दिया जाए अंतिम रूप

ताइवान के अनौपचारिक राजदूत बौशुआन गेर ने प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते को जल्द से जल्द पूरा करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि ताइवान सेमीकंडक्टर 5जी सूचना सुरक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे अहम क्षेत्रों में भारत के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा करना चाहता है।

By AgencyEdited By: Mahen KhannaUpdated: Sun, 09 Oct 2022 11:25 PM (IST)
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ताइवान ने एफटीए को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने को कहा।
नई दिल्ली, एजेंसी। India-Taiwan Trade ताइवान के अनौपचारिक राजदूत बौशुआन गेर ने कहा है कि भारत और ताइवान को प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को जल्द से जल्द अंतिम रूप देना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश के सभी अवरोधक हट जाएंगे और एक लचीली सप्लाई चेन बनाने में मदद मिलेगी। ताइवानी प्रतिनिधि ने कहा कि उनका देश सेमीकंडक्टर, 5जी, सूचना सुरक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे अहम क्षेत्रों में भारत के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा करना चाहता है। उन्होंने कहा कि ताइवान, भारत की हाई टेक्नोलाजी सप्लाई चेन विकसित करने में बहुत अच्छा साझेदार हो सकता है। उन्होंने कहा कि ताइवान, भारत समेत समान विचारधारा वाले व्यापारिक साझेदारों के साथ एफटीए पर सक्रियता से काम कर रहा है।

द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बढ़ेगा

राजदूत ने कहा कि एफटीए पर हस्ताक्षर से सभी व्यापार और निवेश बाधाएं दूर हो जाएंगी और द्विपक्षीय व्यापार और निवेश में उछाल आएगा। गेर ने कहा कि इसके अलावा, यह ताइवान की कंपनियों को उत्पादन आधार स्थापित करने, भारत निर्मित उत्पादों को दुनिया को बेचने और भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र में बदलने में मदद करेगा।

चीन का बढ़ती आक्रामकता के बीच आया बयान

ताइवानी प्रतिनिधि ने नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के समर्थन को दोहराया। उनकी ये टिप्पणियां ऐसे वक्त आई हैं जब चीन ने 2.3 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले इस स्वशासित द्वीप के खिलाफ आक्रामक रूप अपना रखा है। चीन अमेरिकी संसद की स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद से ताइवान के खिलाफ सैन्य आक्रामकता दिखा रहा है। 

सेमीकंडक्टर का प्रमुख उत्पादक है ताइवान

ताइवान दुनियाभर में सेमीकंडक्टर का प्रमुख उत्पादक है और कुछ ताइवानी कंपनियों ने इलेक्ट्रानिक क्षेत्र के लिए 76,000 करोड़ रुपये की भारत की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआइ) योजना में दिलचस्पी दिखाई है।

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