IAEA में चीन के AUKUS प्रस्ताव को भारत ने किया नाकाम, ड्रैगन को वापस खींचने पड़े कदम
AUKUS के खिलाफ चीन IAEA में एक प्रस्ताव पारित करने की कोशिश कर रहा था लेकिन भारत ने चीन के इस कदम को विफल कर दिया। अब भारत के इस कदम की तीनों देशों के अलावा भी कई देश तारीफ कर रहे हैं।
By AgencyEdited By: Babli KumariUpdated: Sat, 01 Oct 2022 08:16 AM (IST)
वियना, एजेंसी। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) में भारत के राजनयिक कौशल ने चीन को AUKUS (United Group of Australia, Britain and America) के खिलाफ अपना प्रस्ताव वापस लेने के लिए मजबूर किया। भारत के इस कदम की कई देश तारीफ भी कर रहे हैं। तारीफ करने वाले देशों में अमेरिका भी शामिल हैं।
चीन ने 26 सितंबर से 30 सितंबर तक वियना में हुए अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के आम सम्मेलन में प्रस्ताव पारित कराने की कोशिश की। ऑकस यानि ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका सुरक्षा साझेदारी की पिछले साल सितंबर में घोषणा की गई थी। इसकी जानकारी सूत्रों ने दी।
भारत कई छोटे देशों के साथ करेगा काम
सूत्रों ने कहा कि चीन ने तर्क दिया कि यह पहल परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के तहत उनकी जिम्मेदारियों का उल्लंघन है। साथ चीन ने इस संबंध में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की भूमिका की भी आलोचना की।The 66th #IAEAGC is taking place from 26 to 30 September in Vienna. Throughout the week, we'll have ≈100 events on nuclear topics — many of them are virtual, so you can attend too!
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— IAEA - International Atomic Energy Agency (@iaeaorg) September 22, 2022
भारत कई छोटे देशों के साथ करेगा काम
सूत्रों के मुताबिक चीन के ये प्रस्ताव IAEA में आने के बाद भारत ने अपनी कुशल कूटनीति का इस्तेमाल करना शुरू किया। भारत ने IAEA के कई छोटे देशों को इस प्रस्ताव के खिलाफ काम करने के लिए मना लिया। इसके लिए वियना में भारतीय मिशन ने IAEA के कई सदस्य देशों के साथ मिलकर काम किया। भारत की सफल कूटनीति का ये असर हुआ कि चीन को अपना प्रस्ताव वापस लेना पड़ा।
भारत की ‘कुशल और प्रभावशाली’ कूटनीति
वियना में भारतीय मिशन ने इस संबंध में कई आईएईए सदस्य देशों के साथ मिलकर काम किया। सूत्रों ने बताया कि भारत की ‘कुशल और प्रभावशाली’ कूटनीति की आईएईए के सदस्य देशों, विशेष रूप से ऑकस सदस्यों ने सराहना की।
भारत की ‘कुशल और प्रभावशाली’ कूटनीति
वियना में भारतीय मिशन ने इस संबंध में कई आईएईए सदस्य देशों के साथ मिलकर काम किया। सूत्रों ने बताया कि भारत की ‘कुशल और प्रभावशाली’ कूटनीति की आईएईए के सदस्य देशों, विशेष रूप से ऑकस सदस्यों ने सराहना की।सूत्र ने कहा, ‘भारत की सुविचारित भूमिका ने कई छोटे देशों को चीनी प्रस्ताव पर स्पष्ट रुख अपनाने में मदद की। जब चीन ने महसूस किया कि उसके प्रस्ताव को बहुमत नहीं मिलेगा तो उसने 30 सितंबर को अपना मसौदा प्रस्ताव वापस ले लिया।’सूत्रों ने बताया कि भारत की ‘कुशल और प्रभावशाली’ कूटनीति की आईएईए के सदस्य देशों, विशेष रूप से ऑकस सदस्यों ने सराहना की।