जवानी में अनिद्रा से बुढ़ापे में मानसिक समस्याओं का खतरा, सीखने और समझने की शक्ति भी होने लगती है क्षीण
Mental Problems in Old Age फिनलैंड की यूनिवर्सिटी आफ हेल्सिंकी के शोधकर्ता एंटी एथलन ने कहा कि अनिद्रा की समस्या जितने ज्यादा समय तक रहती है दिमाग पर उतना दुष्प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति की सीखने-समझने की शक्ति क्षीण होने लगती है।
By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Mon, 23 May 2022 09:55 PM (IST)
हेल्सिंकी, एएनआइ। स्वस्थ शरीर के लिए अच्छी और पूरी नींद का महत्व किसी से छिपा नहीं है। यही कारण है कि अनिद्रा यानी नींद नहीं आने को बीमारी माना जाता है। अनिद्रा से सेहत को होने वाले नुकसान पर कई शोध निष्कर्ष दे चुके हैं। अब एक अध्ययन में लंबे समय तक अनिद्रा के लक्षण बने रहने से मानसिक समस्याओं से जुड़े गंभीर खतरे की बात सामने आई है। अध्ययन के निष्कर्ष इस ओर भी ध्यान दिलाते हैं कि यदि युवावस्था या प्रौढ़ आयु से अनिद्रा के लक्षण दिख रहे हैं, तो अनदेखी न करें। इस तरह की अनदेखी रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी पर बहुत दुष्प्रभाव डाल सकती है।
15-17 साल तब फालोअप के आधार पर किए गए अध्ययन में नींद न आने और दिमागी समस्याओं के बीच देखा गया स्पष्ट संबंधजितने दिन परेशानी, उतना बड़ा खतरा
फिनलैंड की यूनिवर्सिटी आफ हेल्सिंकी के शोधकर्ता एंटी एथलन ने कहा कि अनिद्रा की समस्या जितने ज्यादा समय तक रहती है, दिमाग पर उतना दुष्प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति की सीखने-समझने की शक्ति क्षीण होने लगती है। वैसे तो कुछ शोध में यह सामने आ चुका है कि किस तरह से अनिद्रा दिमाग के काम करने की क्षमता पर असर डालती है, लेकिन इस अध्ययन की खास बात यह है कि इसमें करीब 17 साल तक फालोअप किया गया।
सतर्क रहें तो सुधार की उम्मीद
लंबे समय तक फालोअप से एक सकारात्मक बात भी सामने आई। इसमें पाया गया कि यदि अनिद्रा के लक्षणों में सुधार हो जाए तो मस्तिष्क को होने वाला नुकसान भी कम हो जाता है। इससे अनिद्रा की समस्या को समय रहते पहचानने और उससे पार पाने की जरूरत को बल मिला है। प्रोफेसर टी लालुका ने कहा कि नतीजों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि जितनी जल्दी अनिद्रा के लक्षणों को पहचान पर सही इलाज ले लिया जाए, उतना ही बुढ़ापे में होने वाली मुश्किलों से बचा जा सकता है।