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Iran US Prisoner Exchange: अमेरिका के साथ कैदियों की अदला-बदली को तैयार हुआ ईरान

अमेरिका में बंद अपने कैदियों को छुड़वाने के लिए ईरान के विदेश मंत्री ने कहा है कि वह कैदियों की अदला बदली के लिए तैयार हैं। इससे पहले 2015 में ओबामा प्रशासन ने भी यह बात कही थी और अपने चार कैदियों को ईरान से रिहा करवाया था।

By Monika MinalEdited By: Updated: Thu, 18 Aug 2022 09:47 AM (IST)
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अमेरिका के साथ कैदियों की अदला-बदली को तैयार हुआ ईरान
 तेहरान, एजेंसी। ईरान ने संकेत दिया है कि यह अमेरिका के साथ कैदियों की अदला-बदली करने को तैयार है। यह बात विदेश मंत्री प्रवक्ता नस्सीर कन्नानी (Nasser Kanaani) ने बुधवार को कहा। बता दें कि कैदियों की अदला बदली की बात नई नहीं है। इससे पहले 2016 में ओबामा पशासन ने परमाणु समझौते वाले दिन एक कैदी एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत ईरान से चार अमेरिकी को रिहा करावाया था।

2015 में ईरान ने अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, रूस और चीन के साथ परमाणु समझौता किया था।  अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में समझौते से अमेरिका के हटने की घोषणा की थी। इसके बाद से ईरान ने एक बार फिर अपने परमाणु कार्यक्रम का विस्तार करना शुरू कर दिया। 

पिछले माह ईरान और अमेरिका के बीच नया परमाणु समझौता अभी संभव नहीं लग रहा। पिछले माह ही अमेरिका ने स्पष्ट किया था कि यदि ईरान परमाणु बम बनाने के करीब पहुंचता है तो वह सेना का इस्तेमाल करने से भी पीछे नहीं हटने वाला।

मानसिक दबाव देकर एकतरफा निर्णय चाहता है पश्चिम

विदेश मंत्रालय ने बातों ही बातों में अमेरिका को बता कि ईरान अपने हिसाब से डील का हिस्सा बनेगा। कनानी ने मीडिया को बताया कि पश्चिम ईरान पर मानसिक दबाव बनाकर एकतरफा निर्णय चाहता है। कनानी ने आगे कहा कि अगर अमेरिका सकारात्मक रूप से डील के लिए आगे बढ़ता है तो ईरान भी उसका हिस्सा बनना चाहेगा।

अनेकों पश्चिमी नागरिक अभी ईरान की जेल में बंद है इसमें से अधिकतर दोहरी ईरानी नागरिकता वाले हैं और जासूसी व देश की सुरक्षा को खतरे में डालने के आरोप में कैद की सजा काट रहे हैं। इनमें से दो अमेरिकी हैं जिनके पास ईरानी पासपोर्ट है। न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट में विदेश मंत्री के हवाले से कहा गया है कि अमेरिका की ओर से इस मामले पर अब तक काफी कम सहयोग मिला है। उनके बयान को 2015 के वियना डील से जोड़ा जा रहा है जिससे परमाणु हथियार बनाने में ईरान को बाधा का सामना करना पड़ रहा है।