ईरान की संसद ने हेडस्कार्फ कानून किया पारित, ड्रेसकोड का पालन नहीं करने पर महिलाओं को होगी 10 साल की सजा
ईरान की संसद ने सार्वजनिक स्थानों पर अनिवार्य हिजाब पहनने से इन्कार करने और कठोर इस्लामी ड्रेसकोड का पालन नहीं करने वाली महिलाओं को 10 साल तक कैद की सजा देने वाला बिल बुधवार को पारित कर दिया। हिजाब नहीं पहनने पर महिलाओं के लिए सजा सख्त करने का कानून महसा अमिनी की मौत की बरसी के ठीक एक दिन बाद आया है।
By Jagran NewsEdited By: Versha SinghUpdated: Thu, 21 Sep 2023 08:16 AM (IST)
दुबई, एजेंसी। ईरान की संसद ने सार्वजनिक स्थानों पर अनिवार्य इस्लामिक हेडस्कार्फ़ पहनने से इनकार करने वाली महिलाओं और उनका समर्थन करने वालों पर भारी जुर्माना लगाने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दे दी है।
यह कदम 22 वर्षीय महसा अमिनी की मौत की सालगिरह के कुछ ही दिनों बाद आया, जिसे देश के ड्रेस कोड का उल्लंघन करने के लिए मोरेलिटी पुलिस ने हिरासत में लिया था। जिसके बाद आमिनी की पुलिस की हिरासत में मौत हो गई थी जिसके कारण कई महीनों तक विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसमें कई लोगों ने ईरान की धर्मशाही को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया था।
विधेयक के पक्ष में पड़े 152 वोट
यह विधेयक उन व्यवसाय मालिकों के लिए भी दंड का विस्तार करता है जो अनिवार्य हेडस्कार्फ़, जिसे हिजाब के नाम से जाना जाता है, न पहनने वाली महिलाओं की सेवा करते हैं और जो कार्यकर्ता इसके खिलाफ संगठित होते हैं। यदि अपराध संगठित तरीके से होता है तो उल्लंघनकर्ताओं को 10 साल तक की जेल हो सकती है।
संसद के 290 सदस्यों में से 152 ने इसके पक्ष में वोट दिया। 35 लोगों ने इसके विरोध में वोट दिया जबकि सात सांसदों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। इस बिल को कानून बनाने के लिए अभी गार्जियन काउंसिल से पारित कराना होगा।
16 सितंबर, 2022 को अमिनी की मौत से भड़का प्रदर्शन इस साल की शुरुआत में असहमति पर भारी कार्रवाई के बाद फीका पड़ गया, जिसमें 500 से अधिक प्रदर्शनकारी मारे गए और 22,000 से अधिक को हिरासत में लिया गया।
लेकिन कई महिलाओं ने हिजाब पहनने के नियमों का उल्लंघन जारी रखा, जिससे गर्मियों में उन्हें लागू करने के लिए एक नया अभियान चलाया गया। ईरान के मौलवी शासक हिजाब कानून को इस्लामिक गणराज्य के प्रमुख स्तंभ के रूप में देखते हैं और बिना सबूत दिए पश्चिमी देशों पर विरोध प्रदर्शन का आरोप लगाते हैं।