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Israel Hamas War: हमास-गाजा के बीच युद्ध विराम के प्रयास हुए तेज, फलिस्तीनियों के समर्थन में सड़कों पर उतरे हजारों लोग

इजरायल की सेना ने गाजा पट्टी पर अपने हवाई और जमीनी हमले तेज कर दिए हैं। इस बीच फलिस्तीनियों के प्रति समर्थन दिखाने के लिए शनिवार को यूरोप मध्य पूर्व और एशिया के शहरों में सैकड़ों-हजारों प्रदर्शनकारियों ने रैलियां निकालीं। वहीं लंदन में प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सरकार से युद्धविराम की मांग करने के लिए बड़ी भीड़ को राजधानी में मार्च करते हुए देखा गया।

By Jagran NewsEdited By: Siddharth ChaurasiyaUpdated: Sun, 29 Oct 2023 02:27 AM (IST)
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इजरायल की सेना ने गाजा पट्टी पर अपने हवाई और जमीनी हमले तेज कर दिए हैं।

एजेंसी, लंदन। इजरायल की सेना ने गाजा पट्टी पर अपने हवाई और जमीनी हमले तेज कर दिए हैं। इस बीच, फलिस्तीनियों के प्रति समर्थन दिखाने के लिए शनिवार को यूरोप, मध्य पूर्व और एशिया के शहरों में सैकड़ों-हजारों प्रदर्शनकारियों ने रैलियां निकालीं। वहीं, लंदन में सबसे बड़े मार्चों में से एक में आकाश से ली गई फुटेज में प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सरकार से युद्धविराम की मांग करने के लिए बड़ी भीड़ को राजधानी में मार्च करते हुए देखा गया।

एक प्रदर्शनकारी केमिली रेवुएल्टा ने कहा, "इस समय महाशक्तियां पर्याप्त कार्य नहीं कर रही हैं। यही कारण है कि हम यहां हैं। हम युद्धविराम का आह्वान कर रहे हैं। हम फलिस्तीनी अधिकारों, अस्तित्व के अधिकार, जीने के अधिकार, मानवाधिकारों, हमारे सभी अधिकारों की मांग कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "यह मांग हमास को लेकर नहीं है। यह फलिस्तीनी जीवन की रक्षा के बारे में है।"

वाशिंगटन के रुख को दोहराते हुए सनक की सरकार ने युद्धविराम का आह्वान करना बंद कर दिया है, और इसके बजाय गाजा में लोगों तक सहायता पहुंचाने के लिए मानवीय रुकावटों की वकालत की है।

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आतंकवादी समूह हमास द्वारा 7 अक्टूबर को किए गए हमले के बाद ब्रिटेन ने इजराइल के अपनी रक्षा करने के अधिकार का समर्थन किया है। हमास द्वारा किए गए हमले के बाद इजराइल ने कहा था कि 1,400 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर नागरिक थे।

फलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शनिवार को जारी एक दैनिक रिपोर्ट के अनुसार, तीन सप्ताह पहले शुरू हुई इजरायल की बमबारी के बाद से गाजा में मरने वालों की संख्या 7,650 हो गई है, जिनमें ज्यादातर नागरिक भी शामिल हैं।

हमास के हमलों पर पश्चिमी सरकारों और कई नागरिकों की ओर से इजरायल के लिए मजबूत समर्थन और सहानुभूति रही है, लेकिन इजरायली प्रतिक्रिया ने विशेष रूप से अरब और मुस्लिम देशों में आक्रोश भी पैदा किया है।

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