Israel-Hamas War: हमास के हमले में भारतीय मूल की दो सुरक्षा अधिकारियों की मौत, ड्यूटी पर थीं तैनात
फलस्तीनी आतंकी समूह हमास द्वारा इजरायल पर किए गए अभूतपूर्व हमले में भारतीय मूल की कम से कम दो इजरायली महिला सुरक्षा अधिकारी मारी गईं। आधिकारिक सूत्रों और समुदाय के लोगों ने रविवार को इसकी पुष्टि की। सेना अधिकारियों के मुताबिक इजरायल व हमास आतंकियों के बीच युद्ध में अब तक सेना के 286 जवान और 51 पुलिस अधिकारी मारे जा चुके हैं।
पीटीआई, यरुशलम। फलस्तीनी आतंकी समूह हमास द्वारा इजरायल पर किए गए अभूतपूर्व हमले में भारतीय मूल की कम से कम दो इजरायली महिला सुरक्षा अधिकारी मारी गईं। आधिकारिक सूत्रों और समुदाय के लोगों ने रविवार को इसकी पुष्टि की।
ड्यूटी पर थीं दोनों महिला अधिकारी
उन्होंने बताया कि सात अक्टूबर को हुए आतंकी हमले में अशदोद के होम फ्रंट कमांड की कमांडर 22 वर्षीय लेफ्टिनेंट आर मोसेस और पुलिस के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट की बॉर्डर पुलिस अधिकारी इंस्पेक्टर किम डोकरकर की मौत हो गई। उस दौरान दोनों महिला अधिकारी ड्यूटी पर थीं।
286 जवान और 51 पुलिस अधिकारी मारे गए
सेना अधिकारियों के मुताबिक, इजरायल व हमास आतंकियों के बीच युद्ध में अब तक सेना के 286 जवान और 51 पुलिस अधिकारी मारे जा चुके हैं। समुदाय के कई सदस्यों ने बताया कि इजरायल में मृतक संख्या और भी बढ़ सकती है क्योंकि लापता और अपहृत लोगों की तलाश अभी की जा रही है। समुदाय की एक युवा महिला शहाफ टाकर, जोकि अपने दोस्त के साथ हमले से बचने में कामयाब रही ने अपने दादा के माध्यम से उस दिन जो कुछ हुआ, उसे बयां किया है। दादा याकोव टाकर 1963 में मुंबई से इजरायल चले गए थे।
सदमे में है शहाफ
याकोव ने कहा कि अभी भी वह पौत्री सदमे में है और मानसिक पीड़ा के कारण बोलने में असमर्थ है। शहाफ ने सोचा कि इसे लिखित रूप में देने से उसका तनाव कुछ कम हो जाएगा, इसलिए उसने पीड़ा बयां की। याकोव ने कहा कि आज सुबह शहाफ अपने कुछ दोस्तों के अंतिम संस्कार में गई, जोकि रेव संगीत पार्टी के दौरान नरसंहार में मारे गए थे।
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आंखों देखा हाल किया बयां
बकौल शहाफ, 'सात अक्टूबर को वह और उसकी दोस्त यानिर पार्टी में थीं। तभी उन्होंने वहां रॉकेटों को अपने सिर के ऊपर से जाते हुए देखा। जब मैंने दोस्त यानिर से पूछा कि यह क्या है तो उसने कहा कि मिसाइलें हैं। इसके बाद हम अपनी कार की ओर भागने लगे और मैं रोते हुए फर्श पर गिर पड़ी।
यानिर ने मुझे उठाया, मेरा हाथ पकड़ा और मुझसे कहा सब कुछ ठीक है, चलो यहां से जल्दी भाग चलों, हमें घर पहुंचना है। हम जल्दी से कार में बैठे और तेज गाड़ी चलाने लगे। तभी पुलिस ने दाहिनी ओर मुड़ने को कहा लेकिन वह तेल अवीव की ओर जाने वाली सड़क नहीं थी, इसलिए हम वापस मुड़ गए और दूसरी सड़क पर चल पड़े। शुक्र है हम बच गए। वे सड़क अवरुद्ध कर हमारा इंतजार कर रहे थे। वहां कम से कम आठ आतंकी थे।
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