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जयशंकर ने कहा- चिंता मत करें, भारत अकेले सुलझा लेगा कश्मीर मसला

कांफ्रेंस से इतर एस. जयशंकर ने अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो और हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी से भी मुलाकात की।

By Bhupendra SinghEdited By: Updated: Sun, 16 Feb 2020 12:49 AM (IST)
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जयशंकर ने कहा- चिंता मत करें, भारत अकेले सुलझा लेगा कश्मीर मसला
म्यूनिख, प्रेट्र। चिंता मत करें। कश्मीर मसला भारत अकेले ही सुलझा लेगा। म्यूनिख सेक्योरिटी कांफ्रेंस में अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम की ओर से कश्मीर मसले के जिक्र पर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यह बात कही।

कश्मीर को लोकतांत्रिक तरीके से हल करना लोकतंत्र के लिए सबसे अच्छी बात- ग्राहम

कांफ्रेंस के दौरान एक पैनल चर्चा में सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने कहा कि कश्मीर मुद्दे को लोकतांत्रिक तरीके से हल करना किसी लोकतंत्र के लिए सबसे अच्छी बात हो सकती है। रिपब्लिकन नेता ने कहा, 'जब कश्मीर की बात आती है, तो मैं नहीं जानती कि यह मसला कैसे हल होगा, लेकिन एक बात सुनिश्चित करना चाहती हूं कि दोनों लोकतंत्र (भारत और पाकिस्तान) निश्चित तौर पर हल निकाल लेंगे।'

जयशंकर ने कहा- चिंता मत कीजिए सीनेटर, एक ही लोकतांत्रिक देश है, जो इसे सुलझाएगा

इस पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जवाब देते हुए कहा, 'चिंता मत कीजिए सीनेटर। एक ही लोकतांत्रिक देश है, जो इस मसले को सुलझाएगा और आप जानती हैं कि वह कौन सा देश है।'

जयशंकर ने कहा- प्रासंगिकता खो रहा संयुक्त राष्ट्र

चर्चा के दौरान एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, 'पहले की तुलना में संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता बहुत कम हो गई है। यह बहुत चौंकाने वाली बात भी नहीं है, क्योंकि 75 साल पुरानी बहुत कम चीजें ही आज पहले जितनी बेहतर रह गई हैं। निश्चित तौर पर इस मामले में कुछ किया जाना चाहिए।'

जयशंकर ने की पोंपियो और हाउस स्पीकर पेलोसी से मुलाकात

कांफ्रेंस से इतर एस. जयशंकर ने अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो और हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी से भी मुलाकात की।

जयशंकर ने कहा- दुनिया में बढ़ रहा राष्ट्रवाद

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दुनिया में तेजी से बदलती राजनीति का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'इस बात में कोई संशय नहीं है कि दुनिया में तेजी से राष्ट्रवाद बढ़ रहा है। अमेरिका, चीन और अन्य देशों में तेजी से राष्ट्रवादी विचार बढ़ रहा है। काफी हद तक इस राष्ट्रवाद को चुनावों में समर्थन भी मिला है। ज्यादातर देशों में सकारात्मक राष्ट्रवाद दिख रहा है।

कुछ मामलों में असुरक्षित राष्ट्रवाद भी देखने को मिलता है

कुछ मामलों में असुरक्षित राष्ट्रवाद भी देखने को मिलता है। कहा यह भी जा सकता है कि ज्यादा राष्ट्रवादी दुनिया से बहुपक्षीय दुनिया की धारणा कमजोर होती है।' उन्होंने पिछले दो दशक में दुनिया में आर्थिक मोर्चे पर नए सिरे से बन रहे संतुलन का भी जिक्र किया।