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विकसित देशों के पर्यावरण के वादे पूरे नहीं करने से और आएंगी आपदाएं : विदेश मंत्री जयशंकर

आबू धाबी में सोमवार को ग्लोबल फोरम यूएई समिट को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने पर्यावरण पर चर्चा को दो हिस्सों में बांटते हुए कहा कि पहला पर्यावरण पर काम और हरित विकास की क्षमता बढ़ाना है।

By AgencyEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Mon, 12 Dec 2022 07:03 PM (IST)
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विदेश मंत्री ने ग्लोबल फोरम यूएई समिट में कहा-विश्व की स्थिति बद से बदतर होती जा रही
आबू धाबी, पीटीआई। विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने पर्यावरण संकट पर कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार देशों को आगे आने और दुनिया से झूठ बोलना बंद करने की जरूरत है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि जैसे-जैसे यह बात स्पष्ट होती जाएगी कि विकसित देश अपने किए वादों को पूरा करने को तैयार नहीं हैं, और भी प्राकृतिक आपदाएं आती जाएंगी। आबू धाबी में सोमवार को ग्लोबल फोरम यूएई समिट को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने पर्यावरण पर चर्चा को दो हिस्सों में बांटते हुए कहा कि पहला, पर्यावरण पर काम और हरित विकास की क्षमता बढ़ाना है।

ग्लोबल वार्मिंग के जिम्मेदार देश दुनिया से झूठ बोलना बंद करें- जयशंकर

पर्यावरण न्याय का दूसरा हिस्सा कठिन है। इसमें विकसित देशों से किए गए वादों को पूरा करने की जरूरत है। खासकर वह देश जो कार्बन उत्सर्जन में बड़ी भूमिका निभाते हैं और दूसरों की मदद करने का वादा करते रहे हैं। सच्चाई यह है कि यह देश दुनिया के सामने झूठे वादे करते आए हैं। वह हर पर्यावरण सम्मेलन में एक नए तर्क और बहाने के साथ आते हैं और पर्यावरण की समस्या को टालते रहते हैं। उन्होंने कहा कि विकसित देश अभी तक अपने वादों को पूरा करने को लेकर गंभीर नहीं हैं। इससे कुंठा बढ़ती जा रही है क्योंकि विश्व की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।

केंद्रीय मंत्री ने पर्यावरण को लेकर की कुछ नजरियों की आलोचना

केंद्रीय मंत्री ने पर्यावरण को लेकर कुछ नजरियों की आलोचना करते हुए कहा कि 'बड़े उत्सर्जक' जैसे कुछ लेबल मुद्दे को उलझाने के लिए और कुछ देशों पर निशाना साधने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। लेकिन हो सकता है उस देश का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन पूरे विश्व का दसवां हिस्सा ही हो। यह वह देश नहीं होते जो सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करते हैं। इसलिए इस विषय में पर्यावरण संकट के लिए जिम्मेदार लोगों को ईमानदार और सच्चा होने की जरूरत है। इन्हीं देशों को आगे बढ़कर उचित कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन जैसे देश भी वातावरण पर असर डाल रहे हैं। मेरा मानना है कि भारत जैसा देश पुल बनने की भूमिका निभा सकता है।

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