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चीन की कूटनीति पर जयशंकर ने साधा निशाना, बोले; चीनी ऋण के पीछे छिपे एजेंडे को समझना जरूरी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हिंद महासागर क्षेत्र में समय-समय पर शक्ति प्रदर्शन करने वाले चीन पर बुधवार को परोक्ष निशाना साधा। बता दें कि चीन पर ऋण जाल कूटनीति का आरोप लगाया जाता रहा है कि कैसे वह ऋण देकर देशों को अपने जाल में फांसता है। जयशंकर हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आइओआरए) के मंत्रियों की परिषद की 23वीं बैठक को संबोधित कर रहे थे।

By Jagran NewsEdited By: Prince SharmaUpdated: Thu, 12 Oct 2023 07:31 AM (IST)
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चीन की कूटनीति पर जयशंकर ने साधा निशाना, बोले; चीनी ऋण के पीछे छिपे एजेंडे को समझना जरूरी

पीटीआई, कोलंबो। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हिंद महासागर क्षेत्र में समय-समय पर शक्ति प्रदर्शन करने वाले चीन पर बुधवार को परोक्ष निशाना साधा। कहा- संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान के साथ-साथ एक बहुपक्षीय नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था हिंद महासागर को एक मजबूत समुदाय के रूप में पुनर्जीवित करने का आधार है।

23वीं बैठक को किया संबोधित

यही नहीं, उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र के देशों से विकास चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए कहा और उन्हें अव्यवहार्य परियोजनाओं या अस्थिर ऋण के पीछे छिपे हुए एजेंडे के खतरों से दूर रहने की भी चेतावनी दी। बता दें कि चीन पर 'ऋण जाल' कूटनीति का आरोप लगाया जाता रहा है कि कैसे वह ऋण देकर देशों को अपने जाल में फांसता है। जयशंकर हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आइओआरए) के मंत्रियों की परिषद की 23वीं बैठक को संबोधित कर रहे थे।

उत्तरदाता के तौर पर योगदान का दृष्टिकोण जरूरी

इस मौके पर भारत ने 2023-25 के लिए आइओआरए के उपाध्यक्ष की भूमिका भी ग्रहण की। उन्होंने ने कहा कि समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि के आधार पर हिंद महासागर को एक मुक्त, खुला और समावेशी स्थान बनाए रखना महत्वपूर्ण है। हम हिंद महासागर क्षेत्र में क्षमता निर्माण और सुरक्षा सुनिश्चित करने में पहले उत्तरदाता के तौर पर योगदान देने के अपने दृष्टिकोण को जारी रखेंगे।

उन्होंने कहा कि एशिया के पुनरुत्थान और वैश्विक पुनर्संतुलन में हिंद महासागर एक केंद्रीय स्थान रखता है। यह व्यापार का समर्थन करके और आजीविका बनाए रखकर, कनेक्टिविटी और संसाधन उपयोग की अपार संभावनाएं प्रदान करके, तटीय देशों के विकास और समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास एक ऐसे हिंद महासागर समुदाय को विकसित करना है जो स्थिर और समृद्ध, मजबूत और लचीले रुख वाला हो और जो महासागर की परिधि में सहयोग करने के साथ ही उसके परे होने वाली घटनाओं पर प्रतिक्रिया देने में सक्षम हो। चीनी ऋण के मसले पर भी उन्होंने देशों को आगाह किया।

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उन्होंने कहा- ''हमें समझना होगा कि खतरे कहां हैं, चाहे वे छिपे हुए एजेंडे में हों, अव्यवहार्य परियोजनाओं में हों या अस्थिर ऋण में हों। अनुभवों का आदान-प्रदान, अधिक जागरूकता और गहरे सहयोग के जरिये ही इससे निपटा जा सकता है।बुधवार शाम को जयशंकर ने श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से मुलाकात की और दोनों पड़ोसी देशों के संबंधों को और मजबूत बनाने पर गहन चर्चा की।

दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए तीन नए द्विपक्षीय समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए गए। इस मौके पर भारत और श्रीलंका ने राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाते हुए लोगो भी लांच किया। जयशंकर ने कहा कि यह हमारे गहरे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और लोगों के आपसी संबंधों को दर्शाता है।

जी20 के माध्यम से केंद्र में आई चीजें

विदेश मंत्री ने भारत को बताया विश्वमित्र जयशंकर ने भारत को विश्व मित्र और ग्लोबल साउथ की आवाज बताया। यह संभवत पहला अवसर है जब किसी उच्च पदस्थ कैबिनेट मंत्री ने भारत का वर्णन करने के लिए विश्वगुरु के बजाय विश्वमित्र शब्द का उपयोग किया है। जयशंकर ने कहा कि यहां हममें से कई ग्लोबल साउथ के सदस्य हैं और भारत जी-20 के माध्यम से जिस चीज को केंद्र में लाने में सफल रहा है, उसका आप सभी निश्चित रूप से स्वागत करेंगे।

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ग्लोबल साउथ शब्द का इस्तेमाल अक्सर विकासशील और अल्प विकसित देशों के लिए किया जाता है जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में स्थित हैं। उन्होंने कहा कि अगले दो वर्षों के लिए उपाध्यक्ष के रूप में ये भारत विश्वमित्र के रूप में ग्लोबल साउथ की एक आवाज बनकर इस गतिशील समूह की वास्तविक क्षमता को साकार करने की दिशा में आइओआरए के संस्थागत, वित्तीय और कानूनी ढांचे को मजबूत करने के लिए इसके सदस्य देशों के साथ मिलकर काम करेगा। उन्होंनें कहा कि समन्वयक देश के रूप में भारत का विशेष ध्यान समुद्री सुरक्षा और नीली अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों पर होगा।