S Jaishankar visit to Moscow: जयशंकर की रूस यात्रा पर क्यों है US की नजर, क्या यूक्रेन जंग रोकने की होगी पहल
S Jaishankar visit to Moscow ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई भारतीय विदेश मंत्री की इस यात्रा में जंग खत्म करने की पहल हो सकती है। अमेरिका व पश्चिमी देश भारत से इस तरह की उम्मीद क्यों कर रहे हैं। जयशंकर की रूस यात्रा के क्या मायने हैं।
By Ramesh MishraEdited By: Updated: Tue, 08 Nov 2022 03:36 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की मास्को यात्रा पर अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की नजरें टिकी है। पश्चिमी देशों को उम्मीद है कि इस जंग में भारत शांतिदूत की भूमिका निभा सकता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई भारतीय विदेश मंत्री की इस यात्रा में जंग खत्म करने की पहल हो सकती है। अमेरिका और पश्चिमी देश आखिर भारत से इस तरह की उम्मीद क्यों कर रहे हैं। भारतीय विदेश मंत्री की रूस यात्रा के क्या मायने हैं। इस पर विशेषज्ञों की क्या राय है।
अमेरिका को उम्मीद शांतिदूत की भूमिका निभा सकता है भारत 1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि भारतीय विदेश मंत्री का यह दौरा ऐसे समय हो रहा है कि जब रूस-यूक्रेन संघर्ष कई महीनों से जारी है। उन्होंने कहा कि यह उम्मीद बेवजह नहीं है। प्रो पंत ने कहा कि दुनिया के तमाम विरोध के बावजूद भारत ने रूस से तेल सप्लाई बाधित नहीं की। अमेरिकी दबाव के बावजूद संयुक्त राष्ट्र में भारत ने रूस के खिलाफ मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
इस मामले में भारत ने किसी की परवाह नहीं किया। इसके अलावा भारतीय विदेश मंत्री की यात्रा के पूर्व रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है। पुतिन ने अमेरिका व पश्चिमी देशों का नाम लिए बगैर कहा कि जंग के दौरान भारतीय नेतृत्व किसी के दबाव में नहीं आया है।
2- प्रो पंत ने कहा कि भारत शुरू से इस जंग के खिलाफ रहा है। भारत ने प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय मंच से इस जंग का पूरजोर विरोध किया है। उन्होंने कहा कि भारत का तर्क रहा है कि किसी भी समस्या का समाधान वार्ता के जरिए ही किया जाना चाहिए। भारत का विश्वास रहा है कि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। भारत के तर्क से अमेरिका व पश्चिमी देशों को यह उम्मीद जग सकती है कि भारतीय विदेश मंत्री इस जंग को समाप्त करने के लिए पहल कर सकते हैं।
3- प्रो पंत ने कहा कि हाल में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की। इसके ठीक बाद भारतीय विदेश मंत्री का रूसी दौरा अमेरिका व पश्चिमी देशों को यह उम्मीद जगाता है कि भारत इस दिशा में एक प्रभावशाली कदम उठा सकता है। प्रो पंत ने जोर देकर कहा कि अमेरिका व पश्चिमी देशों की यह उम्मीद बेवजह नहीं है। उन्होंने कहा कि पुतिन ने जिस तरह से भारत और भारतीय नेतृत्व की तारीफ की है, उससे यह उम्मीद और बड़ी हो जाती है।
4- प्रो पंत ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने एक हफ्ते में दूसरी बार भारत की तारीफ की है। पुतिन ने कहा कि भारत के लोग बहुत प्रभावशाली हैं। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत के लगभग 1.5 अरब लोग विकास के मामले में शानदार परिणाम हासिल करेंगे। इसके पूर्व पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर चुके हैं। पुतिन ने भारतीय विदेश नीति की तारीफ की।
रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के हित में फैसले लिए हैं। वह देश हित के लिए किसी भी दबाव में नहीं आते हैं। रूसी राष्ट्रपति ने स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करने के लिए पीएम मोदी की जमकर तारीफ की। ऐसे में अमेरिका व पश्चिमी देशों का यह विश्वास गहरा गया कि भारत इस जंग में शांतिदूत की भूमिका निभा सकता है।
5- भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समय मास्को में हैं। जयशंकर पिछले वर्ष जुलाई में रूस के दौरे पर गए थे। इसके बाद अप्रैल में रूसी विदेश मंत्री लावरोल ने भारत का दौरा किया था। उनकी यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब यह आशंका प्रबल हो गई है कि रूसी सेना यूक्रेन पर परमाणु हमला कर सकती है। अमेरिका व पश्चिमी देश इस बात को लेकर शंका भी जाहिर कर चुके हैं। ऐसे में भारतीय विदेश मंत्री का यह दौरा कई मायनों में खास रहने वाला है।
पुतिन ने भारत की तारीफ में क्या कहारूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि रूस और भारत के मध्य मधुर संबंध हैं। दोनों देशों के संबंध हमारे बीच मौजूद घनिष्ठ रिश्तों की नींव पर निर्मित हैं। भारत के साथ हमारा कभी विवाद नहीं रहा है। ऐसे में पश्चिमी देशों को भारत से काफी उम्मीदें हैं। इसके अलावा जिस तरीके से भारत बिना दबाव के रूस से तेल आयात कर रहा है, इससे जयशंकर के इस दौरे से शांति की उम्मीद जगी है।
अमेरिकी विरोध के बावजूद रूस से तेल आपूर्ति 22 फीसद गौरतलब है कि रूस अक्टूबर में सऊदी अरब और इराक को पीछे छोड़ते हुए भारत को सबसे अधिक तेल आपूर्ति करने वाला देश बन गया है। अक्टूबर के दौरान रूस ने भारत को 9,35,556 बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल की आपूर्ति की है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पहले भारत द्वारा किए गए तेल आपूर्ति में रूस की हिस्सेदारी सिर्फ 0.2 फीसद थी अब यह बढ़कर 22 फीसद हो गई है।