Move to Jagran APP

AI ने बढ़ाई दुनिया की टेंशन, पेरू में शी जिनफिंग से मिले बाइडन; कहा- इंसानों के हाथ में रहे परमाणु बम का नियंत्रण

चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग ने डोनाल्ड ट्रंप के साथ मिलकर काम करने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने यह भी कहा कि सैन्य क्षेत्र में एआई का इस्तेमाल विवेकपूर्ण तरीके से होना चाहिए। पेरू में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन राष्ट्रपति शी जिनफिंग ने मुलाकात की। शी जिनफिंग ने कहा कि अमेरिका और चीन के मध्य स्थिर संबंध पूरी दुनिया के लिए अहम हैं।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Sun, 17 Nov 2024 08:23 PM (IST)
Hero Image
पेरू में जो बाइडन और शी जिनफिंग ने की मुलाकात। ( सभी फोटो- रॉयटर्स)
रॉयटर्स, लीमा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शनिवार को पेरू में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन के मौके पर चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि परमाणु हथियारों के उपयोग पर निर्णय मानव को लेना चाहिए, न कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को। उन्होंने संभावित जोखिमों पर सावधानीपूर्वक विचार करने और विवेकपूर्ण और जिम्मेदार तरीके से सैन्य क्षेत्र में एआई तकनीक विकसित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

शी जिनफिंग बोले- हम सहयोग बढ़ाने को तैयार

शी ने कहा कि अमेरिका-चीन संबंध अपरिवर्तित रहेंगे। हम डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के साथ काम करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने संचार बनाए रखने, सहयोग बढ़ाने और मतभेदों को सुलझाने पर जोर दिया। दरअसल, परमाणु हथियार वार्ता के लिए चले आ रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए वाशिंगटन लंबे समय से बीजिंग पर दबाव डाल रहा है। दोनों देशों ने नवंबर में इसे लेकर आधिकारिक स्तर की बातचीत फिर शुरू की है। हालांकि, औपचारिक परमाणु हथियार नियंत्रण वार्ता जल्द होने की उम्मीद नहीं है।

चीन को नियंत्रित करना नासमझी

बैठक के दौरान शी जिनफिंग ने इस बात पर जोर दिया कि नया शीत युद्ध नहीं लड़ा जाना चाहिए। इसे जीता नहीं जा सकता है। चीन को नियंत्रित करना नासमझी है। यह अस्वीकार्य है। जो बाइडन ने कहा कि दो वैश्विक शक्तियों के बीच रणनीतिक प्रतिस्पर्धा युद्ध में नहीं बदलनी चाहिए। दोनों देश इस प्रतिस्पर्धा को संघर्ष में नहीं बदलने दे सकते हैं। यह हमारी जिम्मेदारी है और पिछले चार वर्षों में मुझे लगता है कि हमने साबित कर दिया है कि इस तरह के संबंध बनाना संभव है।

तो चीन के पास 500 ऑपरेशन परमाणु हथियार

एक शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने सार्वजनिक रूप से चीन की प्रतिक्रिया के बारे में निराशा व्यक्त की है। एआई पर चीन और अमेरिका ने मई में जिनेवा में अपनी पहली औपचारिक द्विपक्षीय वार्ता शुरू की, लेकिन ऐसा नहीं माना जाता है कि उन वार्ताओं में परमाणु हथियार संबंधी निर्णय लेने पर चर्चा हुई। अमेरिकी रक्षा विभाग ने पिछले साल अनुमान लगाया था कि बीजिंग के पास 500 ऑपरेशनल परमाणु हथियार हैं और संभवत: 2030 तक 1,000 से अधिक तैनात किए जाएंगे। इसकी तुलना अमेरिका और रूस द्वारा तैनात क्रमश: 1,770 और 1,710 ऑपरेशनल वारहेड से की जाती है।

चीन ने किया परमाणु कार्यक्रम का आधुनिकीकरण

पेंटागन ने कहा कि 2030 तक बीजिंग के अधिकांश हथियार संभवत: उच्च स्तर की तैयारी पर रखे जाएंगे। 2020 के बाद से चीन ने परमाणु कार्यक्रम का आधुनिकीकरण किया है और अगली पीढ़ी की बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी का उत्पादन शुरू किया है। साथ ही हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन वारहेड का परीक्षण किया है। जमीन, हवा और समुद्र में हथियार चीन को प्रमुख परमाणु शक्ति की पहचान प्रदान करती है। 

यह भी पढ़ें: रूस ने यूक्रेन पर की 90 ड्रोन और 120 मिसाइलों की बौछार, थर्मल पावर प्लांट तबाह; 3 महीने में सबसे बड़ा हमला

यह भी पढ़ें: ईरान में तख्तापलट का प्लान बना रहे ट्रंप! अमेरिका के 'सीक्रेट प्लान' से मिडिल ईस्ट में मची खलबली