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संवैधानिक तंत्र तभी काम करते हैं जब संसद, सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग आगे आएं: CJI चंद्रचूड़

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि संवैधानिक तंत्र कभी काम करते हैं जब संसद सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग आगे आए। अस्पष्टता और अनिश्चितता की स्थिति में इनके आगे आने से लोगों का संविधान में विश्वास बढ़ता है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने बांग्लादेश की राजधानी में सम्मेलन 21वीं सदी में दक्षिण एशियाई संवैधानिक न्यायालय बांग्लादेश और भारत से सबक को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान ब्लूप्रिंट है।

By Jagran News Edited By: Devshanker Chovdhary Updated: Sun, 25 Feb 2024 12:01 AM (IST)
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भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (फोटो- एएनआई)
पीटीआई, ढाका। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि संवैधानिक तंत्र कभी काम करते हैं जब संसद, सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग आगे आए। अस्पष्टता और अनिश्चितता की स्थिति में इनके आगे आने से लोगों का संविधान में विश्वास बढ़ता है।

बांग्लादेश की राजधानी में सीजेआई चंद्रचूड़ का संबोधन

जस्टिस चंद्रचूड़ ने बांग्लादेश की राजधानी में सम्मेलन '21वीं सदी में दक्षिण एशियाई संवैधानिक न्यायालय: बांग्लादेश और भारत से सबक' को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान ब्लूप्रिंट है। यह सभी आकस्मिकताओं के लिए विस्तृत और तैयार समाधान नहीं है। संविधान को लोगों के जीवन में ले जाना हमारी जिम्मेदारी है। न्यायालयों सहित सरकारी संस्थानों की वैधता संविधान द्वारा वर्णित सीमाओं के भीतर उनके कामकाज पर निर्भर है।

उन्होंने कहा, संविधान में लोगों का विश्वास वास्तव में तभी मजबूत होता है, जब शासन की संस्थाएं, चाहे वह संसद हो, केंद्रीय जांच एजेंसी, चुनाव आयोग या सुप्रीम कोर्ट उस समय आगे आती हैं जब परिस्थितियां अनिश्चितता वाली होती हैं। अदालत का आदेश तभी प्रभावी होता है जब हम उन सिद्धांतों को सार्थक रूप से सुरक्षित करते हैं जिनका संविधान वादा करता है। इन सिद्धांतों में स्वतंत्रता, समानता, बराबरी और उचित प्रक्रिया शामिल हैं।

जज के रूप में नागरिकों के साथ संवाद करना सीखेंः सीजेआई चंद्रचूड़

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि हम जज के रूप में नागरिकों के साथ संवाद करना सीखें और उन तक पहुंचें। उन्होंने बताया कि कैसे प्रौद्योगिकी परियोजना के हिस्से के रूप में भारत सरकार ने भारतीय न्यायपालिका को 7,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। उन्होंने कहा, हमने राष्ट्रीय न्यायिक डाटाबेस स्थापित किया है। हम भारत में प्रत्येक अदालत में 'ई-सेवा केंद्र' स्थापित कर रहे हैं ताकि उन नागरिकों तक जजों और अदालतों द्वारा दी जाने वाली सभी सुविधाओं तक पहुंच प्राप्त कर सकें जिनके पास स्मार्टफोन या एंड्रायड फोन नहीं है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि डिजिटल सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट न केवल भारतीय नागरिकों के लिए बल्कि दुनिया भर के लोगों के लिए नि:शुल्क हैं। कहा कि भारत और बांग्लादेश संवैधानिक और न्यायिक प्रणालियों की परंपरा साझा करते हैं। दोनों देश अपने संविधान को 'जीवित दस्तावेज' के रूप में मान्यता देते हैं। इस कार्यक्रम में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश ओबैदुल हसन सहित अन्य लोग शामिल हुए।