New UK PM: 10 डाउनिंग स्ट्रीट का सफर तय करते ही जानिए क्या होंगी ऋषि सुनक की छह बड़ी चुनौतियां
ऐसे में सवाल उठता है कि ब्रिटेन मे नए प्रधानमंत्री के समक्ष क्या बड़ी चुनौतियां होंगी। क्या वह देश की मौजूदा चुनौतियों से निपटने में सक्षम होंगे। क्या सच में ब्रिटेन में राजनीतिक अस्थिरता को दौर खत्म हो गया है। इन सब मामलों में विशेषज्ञों की क्या राय है।
नई दिल्ली, जेएनएन। New UK PM: ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी के नेता ऋषि सुनक (Rishi Sunak new UK PM) का पीएम बनने का रास्ता साफ हो गया है। इसके साथ ही ब्रिटेन में राजनीतिक अस्थिरता का दौर समाप्त हो गया है। कंजर्वेटिव पार्टी ने ऋषि सुनक को अपना नेता चुना है। ऐसे में सवाल उठता है कि ब्रिटेन मे नए प्रधानमंत्री के समक्ष क्या बड़ी चुनौतियां होंगी। क्या वह देश की मौजूदा चुनौतियों से निपटने में सक्षम होंगे। क्या सच में ब्रिटेन में राजनीतिक अस्थिरता का दौर खत्म हो गया है। इन सब मामलों में विशेषज्ञों की क्या राय है।
नए पीएम के समक्ष क्या होगी बड़ी चुनौती
1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि ब्रिटेन के नए पीएम के समक्ष कई मुश्किलें और चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि इनमें सबसे ज्यादा मुश्किल होगा ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना। कोरोना महामारी और यूक्रेन जंग के बाद ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था एक मुश्किल दौर से गुजर रही है। उन्होंने कहा कि थोड़े समय के लिए पीएम रहीं लिज ट्रस के कार्यकाल में कंजर्वेटिव पार्टी को संकट में डाल दिया है। उनके फैसलों से ब्रिटेन के वित्तीय बाजार पर इसका नाकारात्मक असर पड़ा है।
2- प्रो पंत ने कहा कि गंभीर बात यह है कि ब्रिटेन में लोग इस आर्थिक संकट के लिए कंजर्वेटिव पार्टी को जिम्मेदार मान रहे हैं। उन्होंने कहा कि नए प्रधानमंत्री सुनक को ब्रिटेन में आर्थिक संकट से उबारने के साथ ब्रिटेन के लोगों का विश्वास भी जितना होगा। नए पीएम पर इस बात का दबाव रहेगा कि वह जनता के समक्ष पार्टी की एक बेहतर छवि बना सकें। कंजर्वेटिव पार्टी को यह चिंता सता रही है कि ब्रिटेन में आम जनता के बीच पार्टी की छवि नकारात्मक बन रही है।
3- उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में आर्थिक संकट के कारण नए प्रधानमंत्री के पास सेवाओं पर खर्च करने के लिए कम धन होगा। यह बड़ी चुनौती होगी। कोरोना महामारी के बाद ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस पर जबरदस्त दबाव बना हुआ है। खासकर बुजुर्गों और विकलांगों की सेवाओं पर इसका प्रतिकूल असर पड़ा है। कोरोना महामारी का असर शिक्षा सेवा क्षेत्र पर भी पड़ा है। आर्थिक संकट में इन सेवाओं को पटरी पर ले आना सुनक के समक्ष जटिल चुनौती होगी।
4- इसके साथ जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संकट एक बड़ी समस्या है। यूक्रेन जंग के बाद पश्चिमी मुल्क ऊर्जा संकट से जूझ रहे हैं। ऐसे में नए प्रधानमंत्री को ऊर्जा संकट पर नियंत्रण पाना होगा। चुनाव में विपक्ष के लिए यह बड़ा मुद्दा बन सकता है। इसलिए कंजर्वेटिव पार्टी इस पर जरूर नियंत्रण पाने की कोशिश करेगी। प्रो पंत ने कहा कि ऊर्जा संकट का खेल आंतरिक मामला नहीं है। ऐसे में सुनक ब्रिटने की जनता को यह समझा पाने में कैसे कामयाब होते हैं, यह उनके समक्ष एक बड़ी चुनौती होगी। प्रो पंत ने कहा कि फिलहाल यूक्रेन जंग की जो तस्वीर बन रही है, उससे यह लगता है कि यह युद्ध अभी लंबा चलेगा। ऐसे में ऊर्जा संकट के हल के लिए नए पीएम को अन्य विकल्पों पर विचार करना होगा।
5- प्रो पंत ने कहा कि इसके अलावा सुनक के समक्ष गुटो में बंटी कंजर्वेटिव पार्टी को एकजुट करने की बड़ी चुनौती होगी। अगर सुनक पार्टी को एकजुट नहीं कर सके तो ट्रस का उदाहरण उनके समाने होगा। प्रो पंत ने कहा कि पार्टी के सभी गुटों को एक मंच पर लाना और पार्टी हितों पर काम करवाने पर जोर देना उनके समक्ष जटिल चुनौती होगी। इसलिए सुनक को पार्टी के बाहर और उसके अंदर एक बेहतर संतुलन बनाना होगा। प्रो पंत ने कहा कि जिस तरह से पार्टी ने उनको अपना नेता बनाया है, उससे यह उम्मीद करना चाहिए कि वह इस काम में सफल हो सकते हैं।
6- प्रो पंत ने कहा नए प्रधानमंत्री के समक्ष देश के आंतरिक मामलों के साथ ज्वलंत विदेशी मामले भी मुंह बाए खड़े हैं। यूक्रेन जंग में ब्रिटेन की कूटनीति में क्या कोई बदलाव आएगा। क्या ब्रिटेन अपनी आर्थिक तंगी के बीच यूक्रेन का समर्थन जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि नए प्रधानमंत्री को यूक्रेन का समर्थन जारी रखना होगा। इसके अलावा ब्रेक्जिट के दौरान आयरलैंड सीमा को लेकर यूरोपीय संघ के साथ विवाद का निबटारा करने की भी चुनौती होगी।
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