जानिए चक्रवाती तूफान एम्फन का क्यों पड़ा ये नाम, कहां से चुने जाते हैं ऐसे तूफानों के नाम
इस बार इस चक्रवाती तूफान को एम्फन नाम दिया गया है। तूफान को ये नाम थाईलैंड ने दिया है। साल 2004 में इन तूफानों का नाम रखे जाने की प्रक्रिया शुरू हुई है।
By Vinay TiwariEdited By: Updated: Mon, 18 May 2020 05:11 PM (IST)
नई दिल्ली। हर बार जब बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से कोई तूफान उठता है तो उसके अजीबोगरीब नाम सामने आते हैं ये पहला मौका नहीं है जब अरब सागर या बंगाल की खाड़ी से कोई भयानक तूफान उठा हो और उसके कई इलाकों में नुकसान पहुंचाने की संभावनाएं जताई जा रही हों। मौसम विभाग इस चक्रवाती तूफान पर नजर बनाए हुए हैं। वो हर पल की जानकारी दे रहे हैं। तूफान ने कुछ हिस्सों में तेज हवा की वजह से नुकसान भी पहुंचाया है।
चक्रवातों का नामकरण न केवल खतरे को पहचानता है बल्कि देशों को नुकसान को कम करने के लिए आवश्यक एहतियाती कदम उठाने के लिए मजबूर करता है। साल 2017 में चक्रवात "ओखी" आया था। बांग्लादेश ने भी इसको नाम दिया था, जिसका अर्थ बंगाली भाषा में "आंख" है। हाल ही में चक्रवात फोनी भी आया था, इसका नाम भी बांग्लादेश द्वारा रखा गया था।फिलहाल इस बार इस चक्रवाती तूफान को एम्फन नाम दिया गया है। तूफान को ये नाम थाईलैंड ने दिया है। इस खबर के माध्यम से हम आपको बताएंगे क्या है इन चक्रवाती तूफानों का नाम रखे जाने की प्रक्रिया। किस आधार पर रखा जाता है इनका नाम और कौन-कौन से देश इस ग्रुप में शामिल हैं जो इन तूफानों का नामकरण करते हैं।
इस बार थाईलैंड ने दिया तूफान का नाम
ये पहली बार नहीं है कि किसी तूफान को कोई नाम दिया गया हो, वैसे तूफान तो अपने आप में ही एक नाम है मगर इससे इतर भी इनका नामकरण करने की प्रक्रिया चल रही है। इसकी शुरूआत 15 साल पहले यानि 2004 में हुई थी। दरअसल अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में आने वाले समुद्री तूफानों के नाम रखने का सिलसिला 2004 में ही शुरू हुआ था। नामकरण की इस प्रक्रिया के लिए एक सूची बनाई गई। इस सूची में आठ देशों को शामिल किया गया।
यदि किसी तूफान की संभावना दिखती है तो इन आठ देशों को क्रमानुसार आठ नाम देने होते हैं। जब जिस देश का नंबर आता है तो उस देश की सूची में दिए गए नाम के आधार पर उस तूफान का नामकरण कर दिया जाता है। इनमें बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल हैं। हर देश ने आठ नाम पहले ही दे दिए हैं। इस तरह कुल 64 नाम पहले से तय किए गए हैं। इस बार चक्रवाती तूफान के नामकरण की बारी थाईलैंड की थी। थाईलैंड ने इसका नाम एम्फन रखा है। इसी वजह से इसे एम्फन चक्रवाती तूफान कहा जा रहा है।
क्यों दिया जाता है नाम यदि एक चक्रवात की गति 34 समुद्री मील प्रति घंटे से अधिक है तो इसे एक विशेष नाम देना आवश्यक हो जाता है। यदि तूफान की हवा की गति 74 मील प्रति घंटे तक पहुंचती है या पार हो जाती है, तो इसे तूफान / चक्रवात / तूफान में वर्गीकृत किया जाता है।
कहां से आया साइक्लोन शब्द 'साइक्लोन शब्द ग्रीक शब्द' साइक्लोस से लिया गया है जिसका अर्थ है सांप का जमाव। चक्रवात एक कम दबाव वाले क्षेत्र के आसपास वायुमंडलीय गड़बड़ी द्वारा निर्मित होते हैं। चक्रवात आमतौर पर हिंसक तूफान और गंभीर मौसम की स्थिति के साथ होते हैं। उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक गहरे निम्न दबाव वाला क्षेत्र है।चक्रवाती तूफान 20 मई को कर सकता है लैंडफाल
भारत मौसम विभाग भुवनेश्वर के डायरेक्टर एच.आर.विश्वास ने बताया कि ये तूफान 20 मई की दोपहर से शाम के बीच एम्फन पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप और बांग्लादेश के हातिया द्वीप के बीच में लैंडफाल कर सकता हैं। वहां चक्रवात भयानक रूप ले लेगा। चक्रवात के कारण ओडिशा में भारी वर्षा होगी और तेज आंधी चलेगी।
एम्फन' उत्तर-उत्तरपूर्व की ओर बढ़ते हुए तेजी से बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिम में बढ़ेगा और 20 मई की दोपहर/शाम के दौरान दीघा (पश्चिम बंगाल) और हातिया द्वीप समूह (बांग्लादेश) को पार करेगा। इस दौरान हवा की गति 155 से 165 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है। समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने ये जानकारी दी है। 200 किलोमीटर प्रति घंटा से चलेंगी हवा की रफ्तार
एम्फन तूफान आने वाले दिनों में कितना घातक रूप ले सकता है इसका अंदाजा इसकी रफ्तार से लगाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि 19 मई तक इसकी रफ्तार 200 किलोमीटर प्रति घंटा की हो सकती है। इसकी वजह से ओडिशा, बंगाल में दो दिनों तक भारी बारिश भी होगी। 20 मई तक यह दोनों राज्यों को पार करेगा। चक्रवाती तूफान की गति और क्षमता को देखते हुए राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार से अनुरोध किया कि वह एम्फन के रास्ते से होकर गुजरने वाली सभी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को अस्थाई रूप से स्थगित कर दे।
ओडिशा और बंगाल के समुद्री तटों पर ना जाएंचक्रवात के कारण दक्षिण और बंगाल की खाड़ी तथा अंडमान सागर में समुद्र की स्थिति खराब से बेहद खराब रहने वाली है, ऐसे में सरकार ने मछुआरों को चेतावनी दी है कि वह अगले कुछ दिनों तक समुद्र में या ओडिशा के समुद्री तटों पर ना जाएं। पश्चिम बंगाल के मछुआरों को भी चेतावनी दी गई है कि वे 21 मई तक बंगाल की खाड़ी या पश्चिम बंगाल-ओडिशा के तटवर्ती क्षेत्रों में ना जाएं।