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केपी शर्मा ओली बने नेपाल के नए प्रधानमंत्री, जानिए उनके पिछले कार्यकालों में कैसे रहे थे भारत के साथ संबंध

KP Sharma Oli नेपाल की पुष्प कमल दहल सरकार गिरने के बाद केपी शर्मा ओली नए प्रधानमंत्री बने हैं। वह सोमवार को सुबह 11 बजे शपथ ग्रहण करेंगे। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत-नेपाल के रिश्तों में क्या बदलाव आ सकते हैं ये जानने के लिए पहले समझना होगा कि उनके पिछले कार्यकालों में संबंध कैसे रहे हैं। पढ़िए इसे लेकर रिपोर्ट।

By Agency Edited By: Sachin Pandey Updated: Sun, 14 Jul 2024 11:45 PM (IST)
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ओली सोमवार को 11 बजे दिन में शपथ ग्रहण करेंगे। (File Image)
पीटीआई, काठमांडू। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने रविवार को सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष 72 वर्षीय केपी शर्मा ओली रविवार को नेपाल का नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया। दो बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके चीन समर्थक ओली सोमवार 11 बजे दिन में शपथ लेंगे।

अपने पहले कार्यकाल में ओली ने सार्वजनिक रूप से भारत की आलोचना की थी। 2015 में नेपाल में नया संघीय, लोकतांत्रिक संविधान अपनाए जाने के बाद तराई क्षेत्र में महीनों तक आंदोलन चला। भारतीय मूल के तराई निवासियों ने भेदभाव का आरोप लगाया था।

भारत-नेपाल संबंधों में आए थे तनाव

इस मुद्दे को लेकर भारत-नेपाल संबंध में तनाव पैदा हो गया, लेकिन ओली नेपाल-भारत प्रमुख व्यक्ति समूह गठित करने पर सहमत हो गए थे। दूसरी बार सत्ता संभालने से पहले ओली ने देश की आर्थिक समृद्धि के लिए भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाने का वादा किया, लेकिन नेपाल का नया राजनीतिक नक्शा जारी होने के बाद भारत के साथ संबंधों में खटास पैदा हो गई। नए नक्शे में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तीन भारतीय क्षेत्रों को नेपाल का बताया गया था।

असली अयोध्या नेपाल में कह पैदा किया था विवाद

जुलाई 2020 में ओली ने यह दावा किया था कि भारत ने राम को हड़प लिया है और असली अयोध्या नेपाल में है। ओली के इस दावे से भारत के असहज होने के बाद नेपाल के विदेश मंत्रालय को स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा था।

एक बार विवादित रही ओली की नियुक्ति

ओली 11 अक्टूबर, 2015 से तीन अगस्त, 2016 तथा पांच फरवरी, 2018 से 13 जुलाई, 2021 तक प्रधानमंत्री रह चुके हैं। 13 मई, 2021 से 13 जुलाई, 2021 तक उनका प्रधानमंत्री बना रहना विवादित रहा। तत्कालीन राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी द्वारा की गई उनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक माना था।