ईरान में जारी विरोध प्रदर्शनों पर क्या पड़ेगा सरकार पर असर, इसको लेकर अलग-अलग है जानकारों की राय
ईरान में अमीनी की मौत के बाद सो लोगों का जो गुस्सा फूटा है वो सड़कों पर भी दिखाई दे रहा है। सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला लगातार जारी है। जानकारों की राय में इसको लेकर अलग-अलग मत हैं।
By Jagran NewsEdited By: Kamal VermaUpdated: Sat, 08 Oct 2022 06:47 PM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क। ईरान में हिजाब के खिलाफ जिस तरह से लोगों का खासतौर पर महिलाओं का प्रदर्शन उबाल ले रहा है उसको देखते हुए ऐसी संभावना जताई जा रही है कि ये सत्ता परिवर्तन को अंजाम दे सकती है। लेकिन इस संभावना पर ईरान के राजनीतिक विश्लेषकों की राय कुछ और ही है। अधिकतर जानकारों की राय में इस तरह के विरोध प्रदर्शनों पर काबू पा लिया जाएगा। इन जानकारों का ये भी कहना है कि इससे राजनीतिक तौर पर बदलाव या सत्ता परिवर्तन की उम्मीद करना गलत होगा। इनका ये भी कहना है कि ये विरोध प्रदर्शन केवल हिजाब तक सीमित है। इसलिए ये सत्ता परिवर्तन की राह पर नहीं जाने वाला है।
अमीनी की मौत से गुस्सा
गौरतलब है कि ईरान में 22 साल की महसा अमीनी की पुलिस कस्टडी में हुई मौत के देश में एक उबाल दिखाई दे रहा है। लगातार विरोध प्रदर्शन इस बात का संकेत दे रही है कि सब कुछ ठीक नहीं है। विरोध प्रदर्शन करने वाले मानते हैं कि सत्ता में बैठे नेताओं की की बढ़ती निरंकुशता के खिलाफ ये एक विद्रोह है। ईरान में इस तरह के प्रदर्शन कोई नई बात नहीं हैं। वहीं ईरान की सरकार की बात करें तो वो इसके लिए सीधेतौर पर अमेरिका को निशाना बना रही है।
जानकारों का मत
अंतरराष्ट्रीय मामलों की भारतीय परिषद के सीनियर रिसर्चर और मध्यपूर्व के जानकार फज्जुर रहमान का मानना है कि ईरान के लिए अमेरिका से बड़ा कोई दूसरा दुश्मन नहीं है। सरकार लगातार लोगों को ये समझाने में लगी हुई है कि देश में जो कुछ हो रहा है वो अमेरिका की शह पर हो रहा है। रहमान का ये भी कहना है कि इस तरह के विरोध प्रदर्शनों को दबाने में वहां के रिवाल्यूशनरी गार्ड्स का इस्तेमाल किया जाता रहा है। पहले भी छात्रों के आंदोलन को इसके जरिए दबाया गया था। इस बार फिलहाल ये अब तक नहीं आए हैं, लेकिन नहीं आएंगे ऐसा भी नहीं है। सरकार को यदि ऐसा लगेगा कि विरोध प्रदर्शन काबू से बाहर हो रहे हैं तो सरकार इनकी ही मदद लेकर प्रदर्शनों को खत्म कर देगी।
बदलाव संभव
टोनी ब्लेयर इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल चेंज के ईरान प्रोग्राम प्रमुख कसरा अराबी का मानना है कि बीते कुछ वर्षों में ईरान में कई बड़े विरोध प्रदर्शन देखने को मिले हैं। उनका कहना है कि 1979 के इस्लामिक क्रांति और मौजूदा विरोध प्रदर्शन काफी कुछ समान हैं। उस वक्त भी बदलाव को लेकर लोग सड़कों पर थे और अब भी लोग बदलाव चाहते हैं। ऐसा लगता है कि ईरान के लोगों ने अब भी अपना मन बना लिया है। विरोध प्रदर्शनों में अयातुल्लाह अल खमेनेई के पोस्टर को जलाना और तनाशाह मुर्दाबाद के नारे लगाना काफी कुछ इसके संकेत दे रहा है।
(डाइचेवेले की खबर के अनुसार)दो नए आडियो टेप ने बढ़ाई इमरान खान की परेशानियां, सरकार ने लगाया वोट खरीदने का एक आरोपकोरियाई प्रायद्वीप में छाया है तनाव, एक तरफ है जापान-दक्षिण कोरिया और अमेरिका तो दूसरी तरफ किम जोंग उन