Pakistan में हिंदू, सिख समेत अन्य अल्पसंख्यकों का जीना दूभर; शोध विश्लेषक ओवेन्स ने कहा पाक की चिंता पाखंड
शोध विश्लेषक ओवेन्स ने कहा कि धार्मिक असहिष्णुता की निंदा की जानी चाहिए लेकिन धार्मिक घृणा के लिए पाकिस्तान की चिंता पाखंड प्रदर्शन के अलावा और कुछ नहीं है। ओवेन्स ने कहा कि पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान ने जिस सुन्नी कट्टरपंथ को प्रोत्साहित किया है उसने शिया अहमदिया ईसाई हिंदू और सिख समुदायों समेत सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए शत्रुतापूर्ण वातावरण तैयार कर दिया है।
By AgencyEdited By: Shashank MishraUpdated: Sat, 30 Sep 2023 01:44 AM (IST)
जेनेवा, एएनआइ। शोध विश्लेषक कोनोर ओवेन्स ने शुक्रवार को पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा किया। विश्लेषक ने कहा कि सुन्नी कट्टरपंथियों को प्रोत्साहन देकर पाकिस्तान धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए विपरीत और असहनीय स्थिति पैदा कर रहा है।
धार्मिक असहिष्णुता की निंदा की जानी चाहिए
हिंदू, सिख, अहमदिया और ईसाई समेत सभी का जीना दूभर हो रहा है। दक्षिण एशियाई अध्ययन के लिए यूरोपीय फाउंडेशन में विश्लेषक के रूप में काम कर रहे ओवेन्स ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 54वें सत्र में कहा कि पिछले सत्र के दौरान पाकिस्तान ने स्वीडन में कुरान की बेअदबी को लेकर प्रस्ताव पेश किया था।
ओवेन्स ने कहा कि धार्मिक असहिष्णुता की निंदा की जानी चाहिए, लेकिन धार्मिक घृणा के लिए पाकिस्तान की चिंता पाखंड प्रदर्शन के अलावा और कुछ नहीं है। वह अपने देश में ऐसा नहीं करता है। ओवेन्स ने कहा कि पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान ने जिस सुन्नी कट्टरपंथ को प्रोत्साहित किया है उसने शिया, अहमदिया, ईसाई, हिंदू और सिख समुदायों समेत सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए शत्रुतापूर्ण वातावरण तैयार कर दिया है।
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उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान में लागू ईश निंदा और अहमदिया विरोधी कानूनों ने कट्टरपंथियों को कानूनी चोले में काम करने और गैर मुस्लिमों पर अत्याचार करने में सक्षम बना दिया है। ये धार्मिक अल्पसंख्यक लगातार अकारण हमलों के शिकार हो रहे हैं। वे उन्मादी भीड़ हिंसा, हत्याएं, जबरन मतांतरण के शिकार होते हैं और उनके पूजा स्थल को निशाना बनाया जाता है।
इस कट्टरपंथी देश से सावधान रहना चाहिए, क्योंकि उसका शैक्षणिक पाठ्यक्रम अल्पसंख्यकों के लिए घृणा पैदा करता है और उसकी न्याय प्रणाली हमलावरों को छूट देती है।'ओवेन्स ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार निकाय पाकिस्तानी अधिकारियों पर कानूनी उत्तरदायित्व के लिए दबाव डाले। कार्रवाई के बिना पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की स्थिति और बदतर होती चली जाएगी।ये भी पढ़ें: आत्मघाती हमले में 52 लोगों की मौत के बाद पाकिस्तान में दो और बम धमाके, मस्जिद की छत ढही; अब तक चार शव बरामद