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Maldives: भारत विरोधी बयान के बाद संसद में मुइज्जू की निकली हेकड़ी! मालदीव के इतिहास का हुआ सबसे बड़ा बायकॉट

Maldives Opposition boycott मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों की वतन वापसी की घोषणा कर दी है। उन्होंने मालदीव की संसद में दिए अपने पहले भाषण में इस बात का एलान किया। हालांकि राष्ट्रपति के संबोधन का विपक्षी दलों ने बायकॉट किया। उनके संबोधन के दौरान सिर्फ 24 सांसद ही मौजूद रहे। कुल 56 सांसदों ने बैठक का बहिष्कार किया।

By Agency Edited By: Mohd Faisal Updated: Mon, 05 Feb 2024 01:26 PM (IST)
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Maldives: मालदीव की संसद में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का संबोधन (फोटो एएनआई)

एएनआई, माले। Maldives Opposition Party boycott President Speech: मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों की वतन वापसी की घोषणा कर दी है। उन्होंने मालदीव की संसद में दिए अपने पहले भाषण में इस बात का एलान किया। हालांकि, राष्ट्रपति के संबोधन का विपक्षी दलों ने बायकॉट किया। उनके संबोधन के दौरान सिर्फ 24 सांसद ही मौजूद रहे।

संसद में मौजूद रहे सिर्फ 24 सांसद

मालदीव स्थित ऑनलाइन समाचार आउटलेट की रिपोर्ट के अनुसार, मालदीव की संसद (पीपुल्स मजलिस) के उद्घाटन सत्र में राष्ट्रपति मुइज्जू के संबोधन के दौरान केवल 24 सांसद शामिल हुए।

56 सांसदों ने किया बहिष्कार

  • विपक्षी मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) और डेमोक्रेट्स ने सरकार के अलोकतांत्रिक तरीकों के कारण संसद के बहिष्कार का फैसला किया।
  • कुल 56 सांसदों ने राष्ट्रपति के संबोधन का बहिष्कार किया।
  • इनमें डेमोक्रेट के 13 और एमडीपी के 44 सांसद शामिल हैं।
  • मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सुबह 9 बजे जब बैठक शुरू हुई तो केवल 24 सांसद ही संसद में मौजूद थे।

राष्ट्रपति के भाषण का किया बहिष्कार

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सांसदों द्वारा राष्ट्रपति के संबोधन के बहिष्कार का एलान किया गया। इन सांसदों की अध्यक्षता सांसद मोहम्मद असलम ने की। बताया जा रहा है कि सांसदों ने राष्ट्रपति मुइज्जू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है।

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मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने दी एक्स पर जानकारी

इससे पहले मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने एक्स पर एक पोस्ट किया था। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू और प्रथम महिला ने मालदीव संसद के उद्घाटन में शिरकत की। रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि उन्होंने देश की मौजूदा आर्थिक और वित्तीय स्थिति को देखते हुए वरिष्ठ राजनीतिक पदों पर अधिक लोगों को नियुक्त नहीं करने का फैसला किया है।

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