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Fossil Fuel: सामने आया G7 Summit का ड्राफ्ट, खतरनाक गैसों को इस वर्ष तक पूरी तरह से खत्म करने का लक्ष्य

इटली में विकसित देशों के संगठन जी-7 की बैठक (G7 Summit 2024) जारी है। इसमें यूक्रेन-रूस संघर्ष पश्चिम एशिया में तनाव के अलावा जलवायु परिवर्तन (Global Warming) की समस्या पर भी विमर्श किया जा रहा है। जी-7 के देशों अमेरिका कनाडा जापान जर्मनी फ्रांस ब्रिटेन और इटली के नेताओं ने इस दशक में जीवाश्म ईंधन की कटौती पर तेजी से काम करने को लेकर प्रतिबद्धता जताई है।

By Agency Edited By: Abhinav Atrey Updated: Fri, 14 Jun 2024 07:03 PM (IST)
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हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को 2050 तक नेट जीरो करने का लक्ष्य। (फोटो, एक्स)
रॉयटर्स, बोर्गो एग्नाजिया। इटली में विकसित देशों के संगठन जी-7 की बैठक (G7 Summit 2024) जारी है। इसमें यूक्रेन-रूस संघर्ष, पश्चिम एशिया में तनाव के अलावा जलवायु परिवर्तन (Global Warming) की समस्या पर भी विमर्श किया जा रहा है। जी-7 के देशों अमेरिका, कनाडा, जापान, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और इटली के नेताओं ने इस दशक में जीवाश्म ईंधन की कटौती पर तेजी से काम करने को लेकर प्रतिबद्धता जताई है।

इसके तहत 2030 तक मीथेन गैस उत्सर्जन (Methane Gas Emissions) में 75 प्रतिशत तक कटौती का लक्ष्य रखा गया है। इटली में जी-7 के सम्मेलन में जारी होने वाले एक ड्राफ्ट में कहा गया है कि इस दशक में ऊर्जा के रूप में जीवाश्म ईधन की खपत को चरणबद्ध ढंग से कम करने के लिए समुचित कार्रवाई की जाएगी।

गैस उत्सर्जन को 2050 तक नेट जीरो करने का लक्ष्य

हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को उत्तम तकनीक से 2050 तक नेट जीरो करने के लक्ष्य को प्राप्त करने की कार्यायोजना पर तेजी से अमल करने की जरूरत बताई गई। ड्राफ्ट में जलवायु नीति के रूप में इसके अलावा कोयले की खपत को 2030 के दशक के पूर्वार्ध में हासिल करने की भी प्रतिबद्धता जताई गई है।

नवंबर में संयुक्त राष्ट्र का जलवायु परिवर्तन सम्मेलन-सीओपी-29

ड्राफ्ट के अनुसार, जी-7 के देशों ने कहा है कि वे इस वर्ष नवंबर में होने वाले संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन-सीओपी-29 के लिए व अधिक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय जलवायु योजना प्रस्तुत करेंगे।

दस्तावेज में मीथेन उत्सर्जन तीन चौथाई कम करने की प्रतिबद्धता

दस्तावेज में मीथेन उत्सर्जन तीन चौथाई कम करने की प्रतिबद्धता जताई गई है, लेकिन इसके साथ ही एक वर्ग द्वारा पर्यावरण को दूषित करने वाली गतिविधियां जारी रहने पर चिंता जताई गई। इसके साथ ही विशेष परिस्थितियों के अलावा ऊर्जा के लिए रूस पर निर्भरता चरणबद्ध ढंग से कम करने पर भी सहमति जताई गई।

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