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Hottest Month: विश्वभर में अगस्त महीने ने तोड़ा गर्मी का रिकार्ड, 2016 के बाद 2023 दूसरा सबसे गर्म साल

अगस्त महीने की बात करें तो इसमें रिकॉर्ड गर्मी के साथ उच्च तापमान बना रहा। अगस्त में भीषण गर्मी ने सभी का हाल बेहाल किया। डब्लूएमओ और यूरोपीय जलवायु सेवा कॉपरनिकस ने बुधवार बताया कि पिछला महीना न सिर्फ अब तक का सबसे गर्म महिना दर्ज किया गया बल्कि यह जुलाई 2023 के बाद यह दूसरा सबसे गर्म महीना भी मापा गया।

By AgencyEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Wed, 06 Sep 2023 09:01 PM (IST)
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अगस्त महीने की बात करें तो इसमें रिकॉर्ड गर्मी के साथ उच्च तापमान बना रहा।

जिनेवा, एपी। बदलते वक्त के साथ मौसम के मिजाज में भी बदलाव देखने को मिलता है। गर्मी, सर्दी और बरसात के साथ दुनिया के कोने-कोने में मौसम कई करवटें लेता है, लेकिन बीते कुछ समय से पृथ्वी का तापमान तेजी से गर्म हो रहा है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन ( World Meteorological Organisation) के अनुसार, पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) में इस साल अब तक की सबसे प्रचंड गर्मी दर्ज की गई है।

अगस्त में रिकॉर्ड गर्मी के साथ बना उच्च तापमान

अगस्त महीने की बात करें तो इसमें रिकॉर्ड गर्मी के साथ उच्च तापमान बना रहा। अगस्त में भीषण गर्मी ने सभी का हाल बेहाल किया। डब्लूएमओ और यूरोपीय जलवायु सेवा कॉपरनिकस ने बुधवार बताया कि पिछला महीना न सिर्फ अब तक का सबसे गर्म महिना दर्ज किया गया, बल्कि यह जुलाई 2023 के बाद यह दूसरा सबसे गर्म महीना भी मापा गया।

हाई टेक उपकरणों की मदद से चला पता

इस तपीस को वैज्ञानिकों ने हाई टेक उपकरणों की मदद से मापा है। इससे पता चला इस साल अगस्त का महीना तापमान वृद्धि की सीमा में लगभग 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म था, यही नहीं वैज्ञानिकों ने बताया कि यह लेकिन 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा सिर्फ एक महीने से नहीं बल्कि दशकों से अधिक रही है।

डब्ल्यूएमओ और कॉपरनिकस ने कहा कि दुनिया के महासागर में लगभग 21 डिग्री सेल्सियस के साथ अब तक का सबसे गर्म तापमान दर्ज किया गया। यह तापमान लगातार तीन महीनों तक यह उच्च तापमान के निशान पर बना रहा है।

2016 के बाद 2023 दूसरा सबसे गर्म वर्ष

कॉपरनिकस की रिपोर्ट के अनुसार, 2016 के बाद से 2023 दूसरा सबसे गर्म वर्ष रिकॉर्ड किया गया है। इस भीषण गर्मी के लिए वैज्ञानिकों ने मनुष्यों द्वारा पैदा किए गए कोयले, तेल और प्राकृतिक गैस के जलने के साथ-साथ प्राकृतिक अल नीनो के अतिरिक्त दबाव के कारण जलवायु परिवर्तन के बढ़ने को जिम्मेदार ठहराया है।

क्या है अल नीनो?

आपको बता दें कि प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों का अस्थायी रूप से गर्म होने की प्रक्रिया को अल नीनो कहा जाता है। इसी के कारण दुनियाभर में मौसम की स्थिति बदलती है। इस साल की शुरुआत में अल नीनो शुरू हुआ और आमतौर पर यह वैश्विक तापमान में अतिरिक्त गर्मी में बढ़ोतरी करता है।

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यह आश्चर्य की बात नहीं हैं बल्कि दुख की बात है : जलवायु विज्ञानी

जलवायु विज्ञानी एंड्रयू वीवर ने तापमान की भयानक बढ़ोतरी के लिए कहा कि डब्ल्यूएमओ और कॉपरनिकस द्वारा घोषित आंकड़े कोई आश्चर्य की बात नहीं हैं बल्कि दुख की बात है कि सरकारें जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रही हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि जब तापमान फिर से गिरेगा तो जनता इस मुद्दे को भूल जाएगी। कॉपरनिकस यूरोपीय संघ के अंतरिक्ष कार्यक्रम का एक प्रभाग है।

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