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UNEP की रिपोर्ट में ऐसा क्‍या है खास जिस पर चिंतित हुए यूएन प्रमुख एंटोनियो गुटेरस

COP-27 यूएन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वर्ष मानवजाति ने जलवायु परिवर्तन को बेहद करीब से देखा है। इससे बचाव के लिए सभी को मिलकर सामूहिक प्रयास करने होगी। ये रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब मिस्र में जब जलवायु परिवर्तन सम्‍मेलन हो रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 06 Nov 2022 03:08 PM (IST)
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यूएनईपी 2022 की रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन पर की गई चिंता जाहिर
नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। संयुक्‍त राष्‍ट्र की एजेंसी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की एक रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन को लेकर चेतावनी दी है। इसमें कहा गया है कि विश्‍व को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल खुद को बनाना होगा। इस काम में तेजी लानी होगी। UNEP की ये रिपोर्ट Adaptation Gap Report 2022 के नाम से सामने आई है। ये रिपोर्ट ऐसे समय में जारी हुई है जब मिस्र के शर्म अल-शेख में वार्षिक जलवायु सम्मलेन (COP27) चल रहा है। इस रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन को देखते हुए विश्‍व ने काफी कम काम किया है। इसकी गति बेहद धीमी है जिसमें तेजी लानी बेहद जरूरी है।

UNEP की रिपोर्ट में क्‍या है खास

UNEP की रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन को देखते हुए कारगर उपाय करने पर भी जोर दिया है, जिससे बढ़ते जलवायु जोखिमों को ध्यान में रखते हुए गरीब देशों की मदद की जा सके। रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु अनुकूल उपायों को करने के लिए जिस राशि का आंकलन किया गया है वो 340 अरब डालर है। इसमें ये भी कहा गया है कि वर्ष 2050 तक ये राशि बढ़कर 565 अरब डालर के करीब पहुंच सकती है।

इस वर्ष दिखाई दी जलवायु परिवर्तन की विभिषिका 

एजेंसी की कार्यकारी निदेशक इंगर ऐंडरसन का कहना है कि जलवायु परिवर्तन को इस वर्ष बेहद करीब से देखा गया है। कई जगहों पर जानलेवा बाढ़ तो कहीं पर सूखा और कहीं प्रचंड गर्मी इसका जीता जागता सबूत है। उन्‍होंने विश्‍व से तुरंत ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती लाने की अपील की है। उनका कहना है कि इसके जरिए ही जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को रोका जा सकता है।

हर हाल में करनी होगी कार्बन उत्‍सर्जन में कटौती 

इस रिपोर्ट में सबसे अधिक जोर अनुकूलन और कार्बन उत्सर्जन में कटौती को दिया गया है। इसके अलावा जलवायु संकट से निपटने के लिये सामूहिक प्रयासों पर जोर दिया गया है। गौरतलब है कि वर्ष 2015 में हुए पेरिस जलवायु समझौते में वैश्विक तापमान में वृद्धि को रोकने और इसको 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का वादा किया था। हालांकि, विश्‍व के विभिन्‍न देशों ने इस दिशा में जिस तरह से प्रयास किए हैं उसको देखते हुए विश्‍व इस लक्ष्‍य से काफी दूर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि धरती का तापमान पूर्व औद्योगिक काल के स्तर की तुलना में 1.1 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है।

यूएन चीफ का ये है कहना 

यूएन महासचिव एंटोनिया गुटेरस का कहना है कि दुनिया जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से आम आमदी की रक्षा करने में हम विफल रहे हैं। ये बात अब स्‍पष्‍ट हो चुकी है। इसकी सबसे अधिक कीमत गरीब देशों और गरीब लोगों को ही चुकानी पड़ रही है। यूएन प्रमुख ने कहा कि भविष्‍य में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए हमें जितनी राशि की जरूरत होगी फिलहाल उसके 10 फीसद से भी कम की राशि इससे बचने को तुरंत चाहिए होगी।

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