Move to Jagran APP

श्रीलंका में 60 लाख से अधिक लोगों को नहीं मिल रहा भोजन, खाद्य पदार्थों की कमी और बढ़ती महंगाई ने छीना निवाला

श्रीलंका की बदहाल स्थिति पूरे विश्‍व के सामने है। मौजूदा समय में देश में खाद्य पदार्थों की कमी और इनकी बढ़ी कीमतों का सबसे बड़ा संकट है। इसकी वजह से लाखों लोगों को भोजन तक नहीं मिल पा रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 12 Sep 2022 02:27 PM (IST)
Hero Image
श्रीलंका में खाद्य पदार्थों की है जबरदस्‍त कमी
कोलंबो (एजेंसी)। श्रीलंका की आर्थिक स्थिति इस कदम बदहाल हो चुकी है कि यहां की 60 लाख से ज्‍यादा आबादी भुखमरी की कगार पर पहुंच गई है। खाद्य पदार्थों की कमी और इनकी बढ़ी हुई कीमत यहां के लोगों से उनके मुंह का निवाला छीन रही है। वर्ल्‍ड फूड प्रोग्राम और फूड एंड एग्रीकल्‍चर आर्गेनाइजेशन की ताजा रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है। इसमें हालातों की गंभीरता की तरफ ध्‍यान दिया गया है। साथ ही चेतावनी भी दी गई है। श्रीलंका में खेती के क्षेत्र में भी लगातार दो सीजन प्रतिकूल साबित हुए हैं। देश की करीब आधी फसल खराब हो चुकी है। विदेशी मुद्रा भंडार की कमी की बदौलत श्रीलंका खाद्य पदार्थों का आयात तक नहीं कर पा रहा है।

तत्‍काल मदद की जरूरत 

हस रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रीलंका को तत्‍काल मदद की जरूरत है। यहां पर खाद्य पदार्थों की जबरदस्‍त कमी है, जिससे लोगों का जीवन संकट में है। इस रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि यदि श्रीलंका को मदद नहीं मिली तो वो इतना समर्थवान नहीं है कि इस जरूरत की पूर्ति खुद से कर सके। बता दें कि श्रीलंका की करीब 30 फीसद आबादी कृषि पर ही निर्भर है। बीते कुछ वर्षों में जिस तरह से देश की उत्‍पादन क्षमता कम हुई है उससे हालात लगातार बदतर हुए हैं।

बढ़ रही है भूखे लोगों की संख्‍या 

एफएओ के प्रतिनिधी विमलेंद्र शरन का कहना है कि श्रीलंका में भुखमरी के शिकार लोगों की संख्‍या लगातार बढ़ रही है। लोगों के पास दो वक्‍त की रोटी जुटाने का भी इंतजाम नहीं है। जो कुछ लोगों के पास था वो भी अब खत्‍म हो गया है। ऐसे में हालात काफी खराब हैं। शरन के मुताबिक देश की करीब 60 फीसद आबादी को खाना नहीं मिल रही है।

भोजन पहुंचाना पहली प्राथमिकता 

डब्‍ल्‍यूएफपी के प्रतिनिधी अब्‍दुर रहीम सिद्दीकी का कहना है कि WFP की सबसे बड़ी प्राथमिकता यहां के लोगों को भूख से बचाना और उनका खाद्य आपूर्ति करना है। उनके मुताबिक सरकार के साथ मिलकर क्राप एंड फूड सिक्‍योरिटी एससमेंट मिशन देश के 25 सबसे प्रभावित जिलों में गया है। वहां पर उन्‍होंने खेती का आंकलन किया है। साथ ही लोगों की आर्थिक हालत भी गौर से देखी है। जरूरी चीजों की कमी यहां पर साफ दिखाई दे रही है। देश में मौजूदा वित्‍त वर्ष में चावल दाल की पैदावार करीब 30 लाख मैट्रिक टन होने का अनुमान लगाया गया है। ये वर्ष 2017 के बाद से सबसे कम है। इसकी वजह सूखा, और फर्टीलाइजर की कमी भी है। देश में जानवरों का चारे की भी 40 फीसद तक कमी देखी जा रही है। इसका सीधा असर जानवरों और उनकी उत्‍पादन क्षमता पर पड़ रहा है। देश में महंगाई 94 फीसद तक बढ़ी हुई है।