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SpaceX Licence: वैश्विक फर्मों ने भारतीय अंतरिक्ष में दिखाई दिलचस्पी, मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने मांगा लाइसेंस

एलन मस्क के स्वामित्व वाली स्पेसएक्स ने अपने स्टारलिंक ब्रांड के लिए भारत में ब्राडबैंड-से-स्पेस सेवाओं को लान्च करने की इच्छा जाहिर की है। जिसके लिए उसने उपग्रह सेवाओं (जीएमपीसीएस) लाइसेंस द्वारा वैश्विक मोबाइल व्यक्तिगत संचार के लिए दूरसंचार विभाग (डीओटी) को आवेदन किया है।

By AgencyEdited By: Versha SinghUpdated: Wed, 19 Oct 2022 11:16 AM (IST)
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मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने मांगा लाइसेंस
नई दिल्ली, एजेंसी। भारत देश के हर शहर में 5G सेवाएं शुरू करने की तैयारी कर रहा है, तो वहीं वैश्विक कंपनियां देश के अंतरिक्ष से जुड़े व्यवसायों में रुचि दिखा रही हैं। एलन मस्क के स्वामित्व वाली स्पेसएक्स ने अपने स्टारलिंक ब्रांड के तहत भारत में ब्राडबैंड-से-स्पेस सेवाओं को लान्च करने के लिए उपग्रह सेवाओं (जीएमपीसीएस) लाइसेंस द्वारा वैश्विक मोबाइल व्यक्तिगत संचार के लिए दूरसंचार विभाग (डीओटी) को आवेदन किया है।

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स्पेसएक्स ने किया लाइसेंस के लिए आवेदन

एक अधिकारी ने एएनआई को बताया, स्पेसएक्स ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया है, अब सरकार विभाग द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के बाद लाइसेंस पर फैसला करेगी। अधिकारी ने कहा कि वैश्विक कंपनियां अब भारतीय अंतरिक्ष में दिलचस्पी दिखा रही हैं, स्पेसएक्स उनमें से एक है। भारतीय समूह समर्थित वनवेब और रिलायंस जियो इन्फोकाम की उपग्रह इकाई ने पहले ही लाइसेंस हासिल कर लिया है, स्पेसएक्स लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाली तीसरी कंपनी है।

स्पेसएक्स लान्च दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी

स्पेसएक्स लान्च सेवाओं की दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) से अंतरिक्ष यात्रियों को पहुंचाने वाली पहली निजी कंपनी है। यह एकमात्र कंपनी है जिसने सभी असैनिक क्रू मिशनों को आर्बिट में पूरा किया है। स्पेसएक्स स्टारलिंक तारामंडल के साथ विश्व स्तर पर इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करता है। अधिकारी ने कहा कि लाइसेंस मिलने के बाद स्पेसएक्स को अंतरिक्ष विभाग से मंजूरी लेनी होगी और उसके बाद सेवाओं की पेशकश के लिए स्पेक्ट्रम आवंटित करना होगा।

स्पेसएक्स को लेनी होगी मंजूरी

स्पेसएक्स को एक इन-कंट्री अर्थ स्टेशन स्थापित करने और भारत में अपनी वैश्विक उपग्रह बैंडविड्थ क्षमता को बढ़ाने की भी आवश्यकता होगी। ये मंजूरी भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) से लेनी होगी, जो अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी पूंजी को आकर्षित करने के लिए अनिवार्य एक केंद्रीय नियामक निकाय है।

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प्रतिस्पर्धा हो रही तेज

वैश्विक कंपनियों द्वारा भारतीय अंतरिक्ष में रुचि दिखाने के बाद, भारत के अपेक्षाकृत ब्राडबैंड-से-अंतरिक्ष सेवा खंड में प्रतिस्पर्धा तेज हो रही है, जिसकी कीमत 2025 तक 13 बिलियन अमरीकी डालर हो सकती है। वहीं, टाटा समूह के Jio, OneWeb, Nelco, कनाडा के Telesat, और एमेजान भी भारत में सैटेलाइट ब्राडबैंड सेवाएं शुरू करने की संभावनाएं तलाश रही हैं।