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म्यांमार में सैन्य जुंटा ने आंग सान की राजनीतिक पार्टी को किया भंग, सेना ने बनाए सख्त चुनावी कानून

म्यांमार के सैन्य जुंटा चुनाव आयोग ने मंगलवार को आंग सान सू की की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी को भंग कर दिया जाएगा। चुनाव आयोग ने पार्टी को नए सैन्य-मसौदे चुनावी कानून के तहत फिर से पंजीकृत करने में विफल रहने की घोषणा की। Photo- AP

By AgencyEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Wed, 29 Mar 2023 02:34 AM (IST)
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म्यांमार में सैन्य जुंटा ने आंग सान की राजनीतिक पार्टी को किया भंग।
यांगून, एपी। म्यांमार के सैन्य जुंटा चुनाव आयोग ने मंगलवार को आंग सान सू की (Aung San Suu Kyi) की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी को भंग कर दिया जाएगा। चुनाव आयोग ने पार्टी को नए सैन्य-मसौदे चुनावी कानून के तहत फिर से पंजीकृत करने में विफल रहने की घोषणा की। इसलिए, पार्टी को भंग कर दिया जाएगा।

तख्तापलट को सेना ने सही ठहराया

बता दें कि सेना ने अपने फरवरी 2021 के तख्तापलट को सही ठहराया है। राजनीतिक दलों के अनुरोध पर सेना ने जनवरी में पार्टी को सख्त नए चुनावी कानून के तहत फिर से पंजीकरण करने के लिए दो महीने का समय दिया था। हालांकि, राजनीतिक दलों का कहना है कि यह न तो स्वतंत्र होगा और न ही निष्पक्ष।

50 पार्टियों ने किया आवेदन

म्यांमार में 90 मौजूदा पार्टियों में से केवल 50 ने नए नियमों के तहत फिर से पंजीकरण के लिए आवेदन किया था। बाकी को बुधवार से भंग कर दिया जाएगा। सू की ने 1988 में एनएलडी की स्थापना की थी। उन्होंने 1990 के चुनावों में भारी जीत हासिल की, जिसे बाद में तत्कालीन शासकों द्वारा रद्द कर दिया गया था।

एनएलडी को मिली थी भारी जीत

एनएलडी ने सैन्य शासित म्यांमार में 2015 और 2020 के चुनावों में सेना समर्थित पार्टियों पर भारी जीत हासिल की थी। कुछ नेताओं ने पहले पार्टी को नए नियमों के तहत फिर से पंजीकरण न करने का आह्वान किया था। सैन्य-समर्थित यूनियन सॉलिडैरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी ने पुन: पंजीकरण के लिए आवेदन किया था।

इधर, सेना ने पिछले महीने अगस्त तक चुनाव कराने का वादा किया था। सेना ने सोमवार को वार्षिक परेड के दौरान भी कहा कि देश में चुनाव होगा, लेकिन कब तक होगा, इसके बारे में सटीक जानकारी नहीं दी गई। म्यांमार पर इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के वरिष्ठ सलाहकार रिचर्ड होर्से ने कहा, "म्यांमार शासन राष्ट्रीय चुनावों की तैयारी कर रहा है, जो कि अगर सेना द्वारा कराया जाता है, तो इतिहास में सबसे खूनी होने की संभावना है।"

बता दें कि सू की को फरवरी 2021 में तख्तापलट के समय से ही हिरासत में रखा गया है।