रूस से जर्मनी को लगने लगा है डर! इसलिए नाटो को और अधिक मजबूत करना चाहता है बर्लिन
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से यूरोप को अपनी सुरक्षा का सबसे बड़ा खतरा लगने लगा है। समूचा यूरोप ही इससे चिंतित दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि जर्मनी चाहता है कि अब नाटो को बड़े कदम उठाने की जरूरत है।
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। रूस और यूक्रेन के युद्ध ने एक तरफ जहां यूरोप के सामने ऊर्जा संकट की चुनौतियां पेश की हैं वहीं सुरक्षा का प्रश्न काफी बड़ा कर दिया है। यही वजह है कि नाटो के सदस्य जर्मनी ने कहा है कि इस सैन्य गठबंधन को आगे बढ़कर कुछ और करना चाहिए। ये बात किसी और ने नहीं बल्कि जर्मनी की रक्षा मंत्री Christine Lambrecht ने कही है। क्रिस्टीना का कहना है कि नाटो को अपनी सुरक्षा के लिए अब कुछ और कदम उठाने चाहिए। इसको लेकर उन्होंने अपने आधिकारिक अकाउंट से एक ट्वीट भी किया है।
लिथुआनिया के दौरे पर जर्मनी की रक्षा मंत्री
जर्मनी की रक्षा मंत्री ने लिथुआनिया के दौरे पर ये बात कही है। उन्होंने लिथुआनिया में मौजूद नाटो मिशन के तहत अपनी सेना के जवानों से मुलाकात भी की और उनका हाल-चाल जाना। इस दौरान उनके साथ लिथुआनिया के रक्षा मंत्री Arvydas Anusauskas भी मौजूद रहे। आपको बता दें कि नाटो सदस्य देशों में इस गठबंधन की सेनाएं इस तरह से ही मौजूद रहती हैं जैसे यूएन की शांति सेना रहा करती है। नाटो की सेनाएं अलग-अलग देशों में मौजूद हैं।
नाटो को बड़े कदम उठाने की जरूरत
Lambrecht ने इस मौके पर कहा कि रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद विश्व और खासतौर पर यूरोप के जो हालात हैं उसमें नाटो को सुरक्षा के लिए कुछ बड़े कदम उठाने होंगे। इसकी सख्त जरूरत है। उन्होंने ये भी कहा कि ये कोई नहीं जानता है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन किस और विश्व को ले जाएंगे। यूक्रेन में रूस न सिर्फ अधिक आक्रामक बल्कि अधिक क्रूर होता जा रहा है। रूस लगातार यूक्रेन पर परमाणु हमला करने की धमकी तक दे रहा है। रूस ने परमाणु हथियारों को जिस तरह से प्रदर्शित किया है उससे इस बात के साफ संकेत भी मिल रहे हैं।
परमाणु हमले का खतरा
जर्मनी की रक्षा मंत्री ने कहा कि रूस के राष्ट्रपति और दूसरे आला अधिकारियों ने कई बार अलग अलग मंचों पर परमाणु ताकत होने की बात कही है और यूक्रेन का समर्थन करने के लिए पश्चिमी देशों को आगाह तक किया है। हालांकि अमेरिका को नहीं लगता है कि रूस कभी इस युद्ध में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा। रक्षा मंत्री ने लिथुआनिया के अपने समकक्षीय की मौजूदगी में कहा कि जर्मनी नाटो को और अधिक ताकतवर बनाने का पक्षधर है।
तैयारी की जरूरत
उन्होंने कहा कि उन्हें लिथुआनिया में भी रूस की आहट सुनाई देने का डर है। ये पहली बार नहीं हुआ है लेकिन इस बार के हालात अधिक गंभीर हैं। इसलिए इन हालातों को देखते हुए अधिक गंभीर होने और अपनी पूरी तैयारी रखने की जरूरत है। केवल रूस पर प्रतिबंध लगाने से ही कुछ नहीं होगा। बता दें कि लिथुआनिया की सीमा रूस के Kaliningrad से मिलती है। इसके अलावा इसकी सीमा रूस के समर्थक बेलारूस से भी मिलती है।
2017 में लिथुआनिया में तैनात हुई जर्मनी की सेना
गौरतलब है कि लिथुआनिया में पहली बार जर्मनी की सेना ने 2017 में कदम रखा था। लिथुआनिया के दौरे पर Lambrecht ने वहां पर जर्मनी सेना का एक स्थायी कमांड सेंटर का भी उदघाटन किया है। उनका कहना है कि ये केंद्र नाटो ब्रिगेड की मदद करेगा। यहां पर जर्मनी के करीब 1600 जवान हैं।
Russia vs Ukraine: फ्रांस के एक फैसले से रूस की बढ़ जाएगी परेशानी और यूक्रेन को मिल जाएगी बड़ी ताकत