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Nepal Earthquake: संयुक्त राष्ट्र की टीमों ने नेपाल में भूकंप पर दी प्रतिक्रिया, स्थिति का आकलन कर रही UNICEF टीम

नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप पर प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की प्रतिनिधि एलिस अकुंगा ने कहा कि बच्चे और उनके परिवार काफी जोखिम में हैं। जानकारी के मुताबिक प्रभावित क्षेत्रों में हजारों स्कूली बच्चे रहते हैं और उन पर असर पड़ेगा।

By AgencyEdited By: Shalini KumariUpdated: Sun, 05 Nov 2023 03:24 PM (IST)
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नेपाल में आए भूकंप का जायजा ले रही संयुक्त राष्ट्र की टीमें

एएनआई, न्यूयॉर्क। नेपाल में संयुक्त राष्ट्र की टीमें देश के पश्चिम में आए विनाशकारी भूकंप का जवाब दे रही हैं। अब तक इस विनाशकारी भूकंप में 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों अन्य घायल हुए हैं। शुक्रवार की आधी रात से कुछ देर पहले रुकुम (पश्चिम) और जाजरकोट के दूरदराज और ग्रामीण जिलों में 6.4 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया। लोग अपने घरों से बाहर भागे, उनके दिमाग में अप्रैल-मई 2015 के घातक भूकंप की यादें अभी भी ताजा हैं।

स्कूली बच्चों और परिवार पर पड़ा असर

नेपाल में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की प्रतिनिधि एलिस अकुंगा ने कहा कि बच्चे और उनके परिवार काफी जोखिम में हैं। जानकारी के मुताबिक, प्रभावित क्षेत्रों में हजारों स्कूली बच्चे रहते हैं और उन पर असर पड़ेगा।

उन्होंने एक बयान में कहा, "नुकसान की पूरी जानकारी आने वाले दिनों में सामने आएगी और दुख की बात है कि प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ने की संभावना है।" उन्होंने कहा कि यूनिसेफ की टीमें घटनास्थल पर हैं, प्रभाव का आकलन कर रही हैं और तत्काल सहायता प्रदान कर रही हैं।

WHO और UNOSAT ले रही जायजा

अकुंगा ने कहा, "हम स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, जल, स्वच्छता, बाल संरक्षण और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्रों में इस महत्वपूर्ण समय पर आवश्यक समर्थन का आकलन कर रहे हैं।" संयुक्त राष्ट्र की अन्य एजेंसियों ने भी अपनी प्रतिक्रिया तेज कर दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) चिकित्सा टीमें जुटा रहा है और संयुक्त राष्ट्र उपग्रह केंद्र (UNOSAT) को उपग्रह छवि विश्लेषण के माध्यम से दूरस्थ क्षति का आकलन करने के लिए सक्रिय किया गया है।

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सेना के हेलीकॉप्टर हुए तैनात

मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (OCHSA) के मुताबिक, भूकंप के कारण हुए भूस्खलन के कारण जाजरकोट तक पहुंच बाधित हो गई है। सड़क को फिर से खोलने के प्रयास जारी हैं। अब तक सबसे ज्यादा नुकसान जाजरकोट और रुकुम (पश्चिम) में हुआ है। सरकार ने खोज और बचाव के लिए सेना के हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं और अतिरिक्त चिकित्सा कर्मियों को क्षेत्रीय और क्षेत्रीय अस्पतालों में भेजा है।

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