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नेपाल सरकार ने 18 जुलाई को संसद का सत्र आहूत करने की सिफारिश की

नेपाल सरकार ने राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को 18 जुलाई को प्रतिनिधि सभा का नया सत्र आहूत करने की सिफारिश की है। प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में बहाल सदन की बैठक 18 जुलाई को आहूत करने का फैसला किया गया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Thu, 15 Jul 2021 10:57 PM (IST)
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नेपाल सरकार ने प्रतिनिधि सभा का नया सत्र आहूत करने की सिफारिश की है।
काठमांडू, प्रेट्र। नेपाल सरकार ने राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को 18 जुलाई को प्रतिनिधि सभा का नया सत्र आहूत करने की सिफारिश की है। प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में बहाल सदन की बैठक 18 जुलाई को आहूत करने का फैसला किया गया। 22 मई को असंवैधानिक रूप से भंग किए जाने के बाद 275 सदस्यीय निचले सदन की यह पहली बैठक होगी।

नेपाल सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सोमवार को पांच महीनों में दूसरी बार भंग प्रतिनिधि सभा को बहाल कर दिया था। पीठ ने तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष देउबा को मंगलवार तक प्रधानमंत्री नियुक्त करने और 18 जुलाई को प्रतिनिधि सभा का नया सत्र बुलाने का आदेश दिया था। नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष देउबा ने 13 जुलाई को चार नए मंत्रियों के साथ पद और गोपनीयता की शपथ ली थी।

मई में दायर की थी याचिका

गौरतलब है कि हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के कुल 146 सदस्य बीती 24 मई को नेपाल के सुप्रीम कोर्ट एक याचिका लेकर पहुंचे थे। जिसमें मांग की गई थी कि शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्त कर सदम को फिर से बहाल किया जाए। अदालत में दायर की गई याचिका में नेपाली कांग्रेस के प्रतिनिधि सभा के 61 सदस्य, नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के 49 सदस्य, सीपीएन-यूएमएल के माधव नेपाल गुट के 23 सदस्य, उपेंद्र यादव-बाबूराम भट्टराई जनता समाजवादी पार्टी के 12 सदस्य और राष्ट्रीय जनमोर्चा नेपाल से एक सदस्य शामिल था।

नेपाल में सियासी घमासान

मई महीने में पीएम पद का दावा करते हुए, देउबा ने 149 सांसदों के हस्ताक्षर पेश किए थे। ताकि यह साबित हो सके कि उन्होंने नई सरकार का नेतृत्व करने के लिए बहुमत हासिल कर लिया है, लेकिन अब देउबा को 23 वोटों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जोकि उन्हें पहले माधव नेपाल के सीपीएन-यूएमएल से प्राप्त था। जिसके चलते नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने अनुच्छेद 76 (5) और सदन के विघटन के तहत देउबा को नई सरकार बनाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। वहीं, 10 मई को सदन में ओली विश्वास मत हासिल करने में विफल रहे थे। जिसके बाद राष्ट्रपति ने 13 मई को संविधान के अनुच्छेद 76 (3) के तहत सदन में सबसे अधिक सदस्यों वाली पार्टी का नेता ओली को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था।