नेपाल की नई सरकार का भारत और चीन को लेकर कैसा रहेगा दृष्टिकोण, ओली के आगे क्या झुकेंगे 'प्रचंड'
पुष्प कमल दहल प्रचंड के नेतृत्व में नेपाल में नई सरकार का गठन हो गया है। प्रचंड ने सोमवार को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। नई सरकार का भारत और चीन को लेकर कैसा दृष्टिकोण रहेगा आइए जानते हैं...
By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Mon, 26 Dec 2022 07:20 PM (IST)
काठमांडू, रायटर। नेपाल के नए प्रधानमंत्री के रूप में पुष्प कमल दहल प्रचंड ने सोमवार को शपथ ग्रहण किया। उनके नेतृत्व में नई सरकार अपने निकटतम पड़ोसियों चीन और भारत के साथ संबंधों को संतुलित करने की कोशिश करेगी, क्योंकि वह दुनिया के सबसे गरीब देशों में शुमार नेपाल में आर्थिक विकास चाहती है। पुष्प कमल दहल अपने पिछले गठबंधन को छोड़ने और विपक्षी कम्युनिस्ट यूनिफाइड मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट (यूएमएल) पार्टी और पांच अन्य छोटे दलों का समर्थन हासिल करने के बाद रविवार को अप्रत्याशित रूप से तीसरी बार प्रधानमंत्री बने।
यह भी पढ़ें: Varanasi: नेपाल के राजदूत डॉ. शंकर प्रसाद बोले, भगवान पशुपतिनाथ के अभिषेक के लिए हर सावन काशी से जाएगा गंगा जल
चीन समर्थक माने जाते हैं ओली
यूएमएल नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खड्ग प्रसाद शर्मा ओली को चीन समर्थक माना जाता है। नेपाल दक्षिण एशियाई देशों में से एक है, जहां भारत और चीन दोनों प्रभाव चाहते हैं। भारत ने लंबे समय से हिंदू-बहुसंख्यक नेपाल, जहां की आबादी 30 मिलियन (यानी 3 करोड़) है, को अपने करीबी ऐतिहासिक संबंधों और लंबी खुली सीमा के आधार पर एक प्राकृतिक सहयोगी के रूप में माना है।उप प्रधानमंत्री बने श्रेष्ठ
प्रचंड की माओवादी सेंटर पार्टी (Prachanda's Maoist Centre party) के एक वरिष्ठ सदस्य नारायण काजी श्रेष्ठ (Narayan Kaji Shrestha) ने बताया, 'हम अपने दोनों पड़ोसियों के साथ समान निकटता के संबंध बनाए रखेंगे।' श्रेष्ठ को बाद में उप प्रधानमंत्री के रूप में नामित किया गया।
मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने पर देना होगा ध्यान
श्रेष्ठ ने कहा, 'हमें तुरंत मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने, भंडार बनाए रखने, पूंजीगत व्यय बढ़ाने, व्यापार घाटे को कम करने और ब्याज दरों को कम करने पर ध्यान देना चाहिए।'यह भी पढ़ें: पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' तीसरी बार बने नेपाल के प्रधानमंत्री, ओली के नेतृत्व वाले CPN-UML ने दिया समर्थन