नेपाल की प्रचंड सरकार पर फिर संकट के बादल, 12 जुलाई को पेश करना होगा विश्वास मत
Nepal नेपाल की प्रचंड सरकार पर एक बार फिर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। कम्युनिस्ट पार्टी आफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है जिसके बाद अब पीएम प्रचंड को 12 जुलाई को संसद में विश्वास मत हासिल करना होगा। एक और अन्य सहयोगी ने भी हाल ही में अपना समर्थन वापस ले लिया था।
पीटीआई, काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड 12 जुलाई को संसद में विश्वास मत पेश करने की तैयारी कर रहे हैं। कुछ सहयोगियों द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद उनके सामने संकट खड़ा हो गया है।
इस बीच गठबंधन के पूर्व सहयोगी कम्युनिस्ट पार्टी आफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) ने रविवार को कहा कि प्रचंड को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए और नई सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। 69 वर्षीय प्रचंड ने घोषणा की है कि वह सीपीएन-यूएमएल से संबंधित आठ कैबिनेट मंत्रियों के इस्तीफे के बाद पद नहीं छोड़ेंगे। इसके बजाय संसद में विश्वास मत पेश करेंगे।
दो सहयोगियों ने वापस लिया समर्थन
सीपीएन-यूएमएल ने प्रचंड को हटाने के लिए नेपाली कांग्रेस के साथ सत्ता-साझाकरण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद पिछले हफ्ते प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। एक अन्य सहयोगी जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) के तीन मंत्रियों ने शुक्रवार को प्रचंड से समर्थन वापस ले लिया। प्रतिनिधि सभा में जेएसपी के छह और सदस्य हैं।