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नेपाल में देउबा ने किया मंत्रिमंडल विस्तार, 19 मंत्रियों ने ली शपथ, तीन महीने बाद दूर हुआ गतिरोध

नेपाल में शुक्रवार को प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 17 कैबिनेट मंत्रियों और दो राज्य मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इन्हें मिलाकर देउबा सरकार में कुल 25 मंत्री हो गए हैं।

By TaniskEdited By: Updated: Fri, 08 Oct 2021 09:50 PM (IST)
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नेपाल में देउबा ने किया मंत्रिमंडल विस्तार। (फोटो- एएनआइ)
काठमांडू, प्रेट्र। नेपाल में शुक्रवार को प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 17 कैबिनेट मंत्रियों और दो राज्य मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इन्हें मिलाकर देउबा सरकार में कुल 25 मंत्री हो गए हैं। इनमें 22 कैबिनेट और तीन राज्य मंत्री हैं। पांच दलों के गठबंधन वाली देउबा सरकार तीन महीने पहले सत्तारूढ़ हुई थी। इससे पहले देउबा सरकार केवल छह मंत्रियों के साथ कार्य कर रही थी, इनमें प्रधानमंत्री और एक राज्य मंत्री शामिल थे।

नेपाल का संविधान केंद्र सरकार में 25 मंत्री नियुक्त करने की अनुमति देता है। शुक्रवार को 19 मंत्रियों को शपथ दिलाए जाने के बाद देउबा मंत्रिमंडल पूरा हो गया है। इससे पहले सरकार में शामिल दलों के बीच मंत्री पदों को लेकर खींचतान मची थी, इसलिए मंत्रिमंडल विस्तार में विलंब हो रहा था। सहयोगी दलों के साथ लगातार बातचीत के बाद देउबा अपना मंत्रिमंडल गठित कर पाने में सफल रहे।

नए बने पांच मंत्री नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत समाजवादी) से हैं, जबकि चार कैबिनेट मंत्री और एक राज्य मंत्री जनता समाजवादी पार्टी से हैं। इसी प्रकार से पांच कैबिनेट मंत्री और एक राज्य मंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के नेतृत्व वाली नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) से हैं। तीन कैबिनेट मंत्री नेपाली कांग्रेस से बनाए गए हैं। नेपाली कांग्रेस के बालकृष्ण खंड को गृह मंत्री बनाया गया है, जबकि नारायण खडका को विदेश मंत्री बनाया गया है।

नेपाली कांग्रेस के ही मीनेंद्र रीजल को रक्षा मंत्री और ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की को सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया है। प्रचंड की पार्टी के जनार्दन शर्मा को वित्त मंत्री बनाया गया है। 275 सदस्यीय सदन में 165 वोट हासिल करने वाले देउबा अगले डेढ़ साल तक नए संसदीय चुनाव होने तक अपने पद पर बने रहेंगे। तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सिफारिश पर 22 मई को पांच महीने में दूसरी बार राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी द्वारा निचले सदन को भंग कर दिया गया था।