First Citizenship Amendment Bill: नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी ने पहला नागरिकता संशोधन बिल पुनर्विचार के लिए प्रतिनिधि सभा को लौटाया
नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने संसद में पारित होने के एक महीने बाद देश का पहला नागरिकता संशोधन विधेयक रविवार को पुनर्विचार के लिए प्रतिनिधि सभा को लौटा दिया। बिल नेपाल नागरिकता अधिनियम 2063 बीएस में संशोधन करने वाला था।
By Shashank Shekhar MishraEdited By: Updated: Sun, 14 Aug 2022 10:54 PM (IST)
काठमांडू, एजेंसियां। नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने संसद में पारित होने के एक महीने बाद देश का पहला नागरिकता संशोधन विधेयक रविवार को पुनर्विचार के लिए प्रतिनिधि सभा को लौटा दिया। राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता सागर आचार्य ने कहा कि चूंकि सदन में विधेयक की समीक्षा करना आवश्यक समझा गया और उन्हें वापस भेज दिया गया है। प्रतिनिधि सभा (HoR) और नेशनल असेंबली (NA) द्वारा समर्थन किए जाने के बाद बिल को प्रमाणीकरण के लिए राष्ट्रपति को प्रस्तुत किया गया था। बिल नेपाल नागरिकता अधिनियम 2063 बीएस में संशोधन करने वाला था।
मुख्य विपक्षी दल सीपीएन-यूएमएल के सांसदों द्वारा नेपाली नागरिकों से शादी करने वाली विदेशी महिलाओं को तुरंत नागरिकता प्रमाणपत्र देने सहित इसके कुछ प्रावधानों पर सवाल उठाने के बाद यह विवाद छिड़ गया है। नेपाल की संसद ने 14 जुलाई को विधेयक पारित किया, जिस पर दो साल से अधिक समय से चर्चा चल रही थी क्योंकि राजनीतिक दल इस पर आम सहमति बनाने में विफल रहे थे। विधेयक 2020 से प्रतिनिधि सभा में चर्चा में है, लेकिन यह होने में विफल रहा था।
गृह मंत्री ने संसद में की थी अपील
इस नागरिकता संशोधन बिल के बारे में गृह मंत्री ने बताया, 'ऐसे हजारों लोग हैं जिनके माता-पिता नेपाल के नागरिक हैं परंतु उनके बच्चों के पास नेपाल की नागरिकता का प्रमाण पत्र अभी तक नहीं है। गृह मंत्री ने कहा कि स्कूल, कालेज में बिना नागरिकता प्रमाण पत्र के छात्र शिक्षा और अन्य सुविधाओं से भी वंचित हो रहे हैं। नेपाल के गृह मंत्री ने 14 जुलाई को नेशनल असेंबली के सामने इस नागरिकता संशोधन बिल को पेश किया था। बता दें कि केपी शर्मा ओली ने संसद सचिवालय में यह बिल 2018 में दर्ज कराया था।
क्या है नया अध्यादेश?
राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 2021 में नेपाल नागरिकता कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी किया था। हालांकि, इस अध्यादेश से नागरिक सहमत नहीं हैं।
- नेपाल नागरिकता अधिनियम के संशोधन के लिए यह नया अध्यादेश है कि इसके तहत नेपाली माताओं के बच्चों को नेपाली नागरिकता प्राप्त करने की अनुमति देगा।
- जिन नागरिकों के बच्चे 20 सितंबर, 2015 से पहले जन्में हैं, वह अपनी नागरिकता वंश के आधार पर हासिल कर पाएंगे।
- नेपाल के अंतरिम संविधान 2006 के तहत, जिन लोगों का जन्म नेपाल के बार्डर के अंदर हुआ है और अप्रैल 1990 के बीच नेपाल में बस गए थे, उन्हें नेपाल की नागरिकता देने की अनुमति दी जाएगी।
- अगर एक विदेशी नागरिक से विवाहित नेपाली महिला का बच्चा होता है। बच्चा अगर स्थायी रूप से नेपाल में रहा है और उसने विदेशी नागरिकता प्राप्त नहीं की है, तो इस मामले में बच्चा संघीय कानून के अनुसार निष्प्रभावी नागरिकता प्राप्त कर सकता है।