बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन, इंटरनेट व सभी न्यूज चैनल बंद; ढाका में बुलानी पड़ी सेना
Bangladesh Protests बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन से जन जीवन पर असर पड़ने लगा है। देश में इंटरनेट सेवा और सभी समाचार चैनल ठप हैं। अखबारों की वेबसाइट्स भी अपडेट नहीं हो पा रही है। शुक्रवार को हिंसक प्रदर्शन में चार और लोगों की जान गई है। उधर प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट भी हैक हो गई है। ढाका में सभा करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
रॉयटर्स, ढाका। सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ छात्रों के हिंसक प्रदर्शन के बीच शुक्रवार को बांग्लादेश में न्यूज चैनल बंद रहे और दूरसंचार व्यापक रूप से बाधित रहा। मनोरंजन चैनलों का प्रसारण सामान्य रूप से जारी था। कुछ समाचार चैनलों पर संदेश चल रहा था कि वे तकनीकी कारणों से प्रसारण करने में सक्षम नहीं हैं। देश के कुछ हिस्सों में शुक्रवार को फिर हिंसा हुई। इस दौरान चार लोगों की मौत हो गई।
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ढाका में सभा पर प्रतिबंध
गुरुवार को मरने वालों की संख्या 32 पहुंच गई थी। ढाका में सभा करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। एक अखबार के मुताबिक सरकार को व्यवस्था बनाए रखने के लिए गुरुवार देर रात सेना बुलानी पड़ी थी। रॉयटर्स ने कहा है कि वह स्वतंत्र रूप से इस जानकारी की पुष्टि नहीं कर सका है।इंटरनेट सेवा रही बाधित
ढाका सहित कई जगहों पर शुक्रवार सुबह इंटरनेट सेवाएं बाधित रहीं और मोबाइल डेटा बंद रहा। इसके कारण फेसबुक, व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग नहीं हो पा रहा था। विदेश से आने वाली अधिकतर कॉल्स कनेक्ट नहीं हो पा रही थीं। इंटरनेट के माध्यम से भी कॉल नहीं हो पा रही थीं।
समाचार वेबसाइट भी रहीं ठप
बांग्लादेश स्थित कई समाचार पत्रों की वेबसाइट्स शुक्रवार सुबह अपडेट नहीं हो रही थीं और उनके इंटरनेट मीडिया हैंडल भी सक्रिय नहीं थे। यहां तक कि एसएमएस भी नहीं जा रहे थे। देश में केवल कुछ वॉयस काल काम कर रहे थे। प्रदर्शनकारी 1971 में मुक्ति संग्राम में भाग लेने वालों के परिवार के सदस्यों के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण को खत्म करने की मांग कर रहे हैं।छात्रों को मिला बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी का समर्थन
मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने प्रदर्शनकारी छात्रों का समर्थन किया है और उम्मीद है कि वह अपना समर्थन दिखाने के लिए प्रदर्शन करेगी। वहीं, शेख हसीना की पार्टी ने उन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। कुछ विश्लेषकों ने कहा है कि उच्च मुद्रास्फीति, बढ़ती बेरोजगारी सहित कठिन आर्थिक स्थितियां आग में घी डालने का काम कर रही हैं।