सिंगापुर में आटे की डिमांड, भारतीय समुदाय का बिगड़ा फेस्टिव मूड; ढूंढ रहे अपने देश का स्वाद
बाली में G20 मीटिंग में शामिल होने के बाद वापसी के दौरान वित्त मंत्री पीयूष गोयल सिंगापुर में रुके थे और उन्हें इस बात की जानकारी मिली। उन्होंने वहां रहने वाले भारतीय नागरिकों से वादा किया कि जल्द ही वे भारत से आटा के निर्यात का इंतजाम करेंगे।
By JagranEdited By: Monika MinalUpdated: Fri, 30 Sep 2022 11:31 AM (IST)
सिंगापुर, एजेंसी। मुलायम रोटियों के शौकीन लोगों को इस वक्त सिंगापुर में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। वहां ब्रांडेड गेहूं के आटे की कमी हो गई है जिसके कारण सिंगापुर में रहने वाले उत्तर भारतीय समुदाय को खासी दिक्कत हो रही है। गत शनिवार को बाली में G20 मीटिंग में शामिल होने के बाद वापसी के दौरान वित्त मंत्री पीयूष गोयल सिंगापुर में रुके थे और उन्हें इस बात की जानकारी मिली। उन्होंने वहां रहने वाले भारतीय नागरिकों से वादा किया कि जल्द ही वे भारत से आटा के निर्यात का इंतजाम करेंगे।
चाहिए अपने देश के आटे की बनीं रोटियां
सिंगापुर में रहने वाले उत्तर भारतीय नागरिकों को मुलायम रोटियां नहीं मिल रहीं हैं। वित्त मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने आश्वासन दिया कि जल्द ही यहां से गेहूं को आटे का निर्यात फिर से शुरू किया जाएगा। अभी भारत में नवरात्र, दिवाली जैसे त्योहारों का मौसम है जिसके लिए कई तरह के पकवान बनते हैं और इसके लिए आटे की मिठाइयां बनाई जाती हैं। वहां के एक स्थानीय अखबार में भी इसे लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। हेडलाइन है- 'आटे की किल्लत ने बिगाड़ा फेस्टिव मूड, हम भारतीय आटे के बगैर नहीं रह सकते (Atta shortage dampens the festive mood We can't live without Indian atta)'।आटे की खोज में दुकानों को छान रहे भारतीय
सिंगापुर में रहने वाली दिल्ली की नैन्सी भार्गव ने कहा, 'मैंने अपने पास के मार्केट में सभी दुकानों को छान मारा लेकिन कहीं भी आटा नहीं है। काफी मुश्किल है, घर पर मेहमान आए हैं और मैं उनके लिए खाना नहीं पका सकती।' अयोध्या के राहुल सिंह 17 साल से सिंगापुर में हैं, इनका कहना है कि इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है। राहुल ने कहा, 'हम भारत के चक्की आटा को ही प्राथमिकता देते हैं।'
जुलाई में लगी आटे के निर्यात पर रोक
उल्लेखनीय है कि भारत ने इस साल मई महीने में गेहूं के निर्यात को रोका और फिर जुलाई में आटा का निर्यात भी रोक दिया। रूस-यूक्रेन जंग के कारण गेहूं की बढ़ी कीमत व वैश्विक किल्लतों को देखते हुए देश में खाद्यान्न भंडार को बढ़ाने के लिए भारत ने यह कदम उठाया। दुनिया भर में गेहूं की सप्लाई करने में रूस और यूक्रेन का सबसे अधिक योगदान रहता है। हालांकि गेहूं का उत्पादन करने वाले बड़े देशों में भारत भी शामिल है लेकिन गेहूं के निर्यात मामले में पीछे है।
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