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North Korea ने किया बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण, पलक झपकते ही कर सकता है अमेरिकी बेस तबाह

उत्तर कोरिया ने रविवार को एक इंटरमीडिएट रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल लांच की जो कोरियाई प्रायद्वीप और जापान के बीच समुद्र में जाकर गिरी। दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ आफ स्टाफ ने एक बयान में बताया कि सेना ने रविवार दोपहर उत्तर कोरिया के राजधानी क्षेत्र से इंटरमीडिएट रेंज की एक बैलिस्टिक मिसाइल के लांच का पता लगाया जो 1000 किलोमीटर की दूरी तय कर समुद्र में गिर गई।

By Agency Edited By: Sonu Gupta Updated: Mon, 15 Jan 2024 06:30 AM (IST)
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उत्तर कोरिया ने टेस्ट की अमेरिकी बेस को निशाना बना सकने वाली मिसाइल
एपी, सियोल। उत्तर कोरिया ने रविवार को एक इंटरमीडिएट रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल लांच की जो कोरियाई प्रायद्वीप और जापान के बीच समुद्र में जाकर गिरी। यह मिसाइल क्षेत्र में अमेरिका के दूरस्थ बेस को निशाना बना सकने में सक्षम है। इस वर्ष उत्तर कोरिया का यह पहला मिसाइल परीक्षण है। इस बीच, उत्तर कोरिया के विदेश मंत्री सोमवार को रूस की यात्रा पर रवाना हो रहे हैं।

दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ आफ स्टाफ ने जारी किया बयान

दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ आफ स्टाफ ने एक बयान में बताया कि सेना ने रविवार दोपहर उत्तर कोरिया के राजधानी क्षेत्र से इंटरमीडिएट रेंज की एक बैलिस्टिक मिसाइल के लांच का पता लगाया जो 1,000 किलोमीटर की दूरी तय कर समुद्र में गिर गई। उन्होंने इस लांच को उकसाने वाला बताया और कहा इससे कोरियाई प्रायद्वीप की शांति को गंभीर खतरा पैदा होता है।

जापान ने भी की मिसाइल लांच की पुष्टि

ज्वाइंट चीफ ने कहा कि उत्तर कोरिया की किसी भी उकसावेपूर्ण कार्रवाई का जवाब देने के लिए दक्षिण कोरिया अपनी तैयारी बनाए रखेगा। जापान ने भी मिसाइल लांच की पुष्टि की। यह मिसाइल उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग से 3,400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकाने गुआम को निशाना बनाने के लिए डिजायन की गई है।

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विशेषज्ञों का क्या मानना है?

कोरिया रिसर्च इंस्टीट्यूट फार नेशनल स्ट्रैटेजी में मिसाइल एक्सपर्ट चांग यंग-क्यून के मुताबिक, रेंज में समायोजन करके इससे नजदीक के ठिकानों जैसे जापान के ओकिनावा द्वीप स्थित अमेरिकी सैन्य प्रतिष्ठानों को भी निशाना बनाया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर कोरिया अपने उकसावेपूर्ण मिसाइल परीक्षणों को बढ़ा सकता है ताकि वह अप्रैल में दक्षिण कोरिया में होने वाले संसदीय चुनावों और नवंबर में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों को प्रभावित कर सके।

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