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Harris visit to South Korea: अमेरिकी उपराष्ट्रपति हैरिस की दक्षिण कोरिया की यात्रा से चिढ़ा उत्‍तर कोरिया, कर सकता है परमाणु परीक्षण

Harris visit to South Korea अमेरिकी कांग्रेस की अध्‍यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद अब अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की दक्षिण कोरिया और जापान की यात्रा पर जाएंगी। इस यात्रा से उत्‍तर कोरिया खफा है और वह विरोध में परमाणु परीक्षण कर सकता है।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Sat, 24 Sep 2022 08:50 PM (IST)
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Harris visit to South Korea: अमेरिकी उपराष्ट्रपति हैरिस की दक्षिण कोरिया की यात्रा से चिढ़ा उत्‍तर कोरिया। एजेंसी।
वाशिंगटन, एजेंसी। Harris visit to South Korea: अमेरिकी कांग्रेस की अध्‍यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद अब अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस दक्षिण कोरिया और जापान की यात्रा पर जाएंगी। इस यात्रा से उत्‍तर कोरिया खफा है और वह विरोध में परमाणु परीक्षण कर सकता है। खास बात यह है कि अभी हाल में नैंसी की ताइवान यात्रा पर चीन की नाराजगी देखने को मिली थी। चीन ने भी कहा था कि वह नैंसी के विमान को गिरा देगा, अब उत्‍तर कोरिया को भी हैरिस की यात्रा से मिर्ची लगी है। आइए जानते हैं कि हैरिस की यह यात्रा कूटनीतिक लिहाज से अमेरिका के लिए क्‍याें अहम है।

1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि अमेरिका अपने मित्र राष्‍ट्रों को यह भरोसा देना चाहता है कि वह उनके साथ पूरी तरह से खड़ा है। ताइवान, दक्षिण कोरिया और जापान अमेरिका के रणनीतिक सहयोगी हैं। अफगानिस्‍तान से अमरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अमेरिकी मित्र राष्‍ट्रों में संदेह उत्‍पन्‍न हुआ था, ज‍िसको अब राष्‍ट्रपति पूरा करना चाहते हैं।

2- उन्‍होंने कहा कि बाइडन प्रशासन की लड़ाई लोकतंत्र बनाम अन्‍य रही है। चीन को घेरते हुए बाइडन कह चुके हैं कि अब वक्‍त आ गया है कि लोकतांत्रिक देशों को एक मंच पर आना चाहिए। इस तरह से बाइडन प्रशासन यह संदेश भी देना चाहता है कि वह लोकतांत्रिक राष्‍ट्रों के साथ खड़ा हो। ताइवान मसले पर भी अमेरिका ने यही संकेत दिया था। चीन के तमाम विरोध के बावजूद अमेरिका ने नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा को हरी झंडी दी थी। हैरिस की यात्रा को इसी कड़ी से जोड़कर देखा जाना चाहिए।

3- प्रो पंत ने कहा हैरिस की यात्रा से यह संदेश जाता है कि अब अमेरिका विरोधी राष्‍ट्रों के प्रति सख्‍त कूटनीतिक रवैया अपना रहा है। उन्‍होंने का कि यह अमेरिका की यात्रा कूटनीति है। इसका मकसद विरोधी राष्‍ट्रों को चेतावनी और मित्र राष्‍ट्रों के साथ एकजुटता का संदेश देना है। उन्‍होंने कहा कि यही कारण है कि हैरिस दक्षिण कोरिया के साथ जापान की यात्रा पर जाएंगी। जापान, अमरिका का बड़ा रणनीतिक सहयोगी राष्‍ट्र है। जापान क्‍वाड संगठन का भी हिस्‍सा है।

4- अमेरिकी राष्‍ट्रपति हैरिस की जापान यात्रा से चीन को भी मिर्ची लगेगी। उन्‍होंने कहा कि क्‍यों क्‍वाड के गठन का चीन ने जोरदार विरोध किया था। ऐसे में हैरिस की जापान यात्रा से चीन तिलमिलाएगा जरूर। बाइडन प्रशासन का मकसद है कि विरोधी राष्‍ट्रों को कूटनीतिक रूप से मात दिया जाए। हैरिस की यात्रा उत्‍त‍र कोरिया और चीन दोनों को परेशान करनी वाली होगी।

बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपण की तैयारी में जुटा प्योंगयांग

अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्योंगयांग इस परीक्षण की तैयारी में जुटा है। हैरिस 26 से 29 सितंबर तक जापान और दक्षिण कोरिया की यात्रा करने वाली हैं। जबकि दक्षिण कोरिया ने कहा कि उत्तर कोरिया बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपण में सक्षम पनडुब्बी लांच कर सकता है। इसकी तैयारी के संकेत मिले हैं। योनहाप समाचार एजेंसी के अनुसार, अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि उत्तर कोरिया ने यदि नया परीक्षण किया तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। हैरिस की यात्रा के दौरान उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण की संभावना के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा, 'हम पहले भी कह चुके हैं कि उत्तर कोरिया परमाणु परीक्षण की तैयारी में जुटा है।'