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महिलाओं के अधिकारों पर चर्चा लिए अफगानिस्तान जाएगा OIC का डेलिगेशन, तालिबान से होगी बात

Afghanistan Women Rights इस्लामिक सहयोग संगठन के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा (Hissein Brahim Taha) ने कहा है कि अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों पर तालिबान की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों पर चिंताओं को उजागर करना समय की जरूरत है।

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Sat, 14 Jan 2023 09:49 AM (IST)
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women right to education and employment in afganistan
काबुल, एएनआई। Afghanistan OIC delegation: तालिबान (Taliban) शासन के तहत अफगान महिलाओं के अधिकारों पर अंकुश लगा दिया गया है। खामा प्रेम की रिपोर्ट के मुताबिक इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने शिक्षा और रोजगार के लिए महिलाओं के अधिकारों पर चर्चा करने के लिए अफगानिस्तान (Afghanistan) में एक प्रतिनिधिमंडल भेजने की योजना बनाई है।

चिंताओं को करना होगा उजागर

सऊदी अरब के जेद्दा में हुई एक बैठक में इस्लामिक सहयोग संगठन के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा ने कहा कि अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों पर तालिबान की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों पर चिंताओं को उजागर करना समय की जरूरत है। उन्होंने का कि ये मिशन अफगान महिलाओं और लड़कियों के रोजगार, शिक्षा और सामाजिक न्याय के मौलिक अधिकारों के खिलाफ तालिबान सरकार की कार्रवाइयों पर ध्यान केंद्रित करेगा।

किया गया विरोध

दुनियाभर से आलोचना के बावजूद अफगानिस्तान में महिलाओं पर तालिबानी अत्याचार लगातार जारी है। अफगानिस्तान ने कुछ दिन पहले ही घरेलू और विदेशी एनजीओ में महिलाओं को काम करने पर रोक लगा दी थी। तालिबान के इस कदम बाद महिला विश्वविद्यालय की छात्राओं और महिला कार्यकर्ताओं की तरफ से देश के कई हस्सों में विरोध किया गया था।

तालिबान के कदम की निंदा

घरेलू और विदेशी एनजीओ में महिलाओं को काम करने पर लगी रोक का संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, यूरोपीय संघ (ईयू), संयुक्त राष्ट्र (यूएन), ओआईसी और अन्य अंतर्राष्ट्रीय सहायता संगठनों सहित कुछ विदेशी सरकारों ने कड़ी निंदा की थी। इतना ही नहीं तालिबान की कार्यवाहक सरकार से इस पर पुनर्विचार करने का आह्वान भी किया गया था।

लगाए गए प्रतिबंध

15 अगस्त 2021 के बाद तालिबान ने महिलाओं पर एक के बाद एक कई तरह पाबंदिया लागू करनी शुरू कर दीं। सबसे पहले लड़कियों के हायर सेकेंडरी में एडमिशन पर प्रतिबंध लगाया गया। इसके बाद महिलाओं के अकेले यात्रा करने पर पाबंदी लगाई गई। सार्वजनिक स्थानों पर बिना बुर्का पहने निकलने पर रोक लगा दी गई। महिलाओं को पार्कों और जिम में जाने पर भी पाबंदी लगा दी गई और उन्हें बिना पुरुष रिश्तेदार के यात्रा करने से भी रोक दिया गया। तालिबान के इन फैसलों ने महिलाओं और बच्चियों को घर की चार दीवारी के भीतर कैद कर दिया।

ये भी जानें

अगस्त में जारी यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तथ्य ये है कि अफगानिस्तान में लड़कियां शिक्षा से वंचित हैं। पिछले 12 महीनों में देश की अर्थव्यवस्था को कम से कम 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत है।

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