Move to Jagran APP

थम गए दुनिया की सबसे पुरानी घड़ी के कांटे, जानें इससे जुड़ी दंतकथाएं

लेकिन 600 सालों से अधिक समय से जो घड़ी इस शहर को समय के बारे में बताती आ रही है। वह पिछले कुछ समय से एक ही समय बता रही है।

By Srishti VermaEdited By: Updated: Mon, 22 Jan 2018 08:43 AM (IST)
Hero Image
थम गए दुनिया की सबसे पुरानी घड़ी के कांटे, जानें इससे जुड़ी दंतकथाएं

प्राग (एजेंसी)। चेक रिपब्लिक गणराज्य के प्राचीनतम शहर प्राग में स्थित राजसी महल की दीवार पर लगे दुनिया की सबसे विशालतम घड़ी के कांटे रुक गए हैं। विंटर के इस सीजन में बर्फ के साथ-साथ कहा जा सकता है कि घड़ी के कांटे भी एक ही जगह पर जम गए हैं। लेकिन 600 सालों से अधिक समय से जो घड़ी इस शहर को समय के बारे में बताती आ रही है। वह पिछले कुछ समय से एक ही समय बता रही है। प्राग के सबसे प्रसिद्ध ज्योतीषीय घड़ी 'ओरलोज' कई दिनों से रिपेयर के लिए बंद पड़ी है।

पहली बार नहीं हुआ है ऐसा

बताया जा रहा है कि यह पहली बार नहीं है जब इस घड़ी ने काम करना बंद कर दिया है। घड़ी की उम्र और इसकी नाजुकता इस बात की गवाह है कि इससे पहले भी कई बार घड़ी ने काम करना बंद कर दिया है।

प्राग शहर के मशहूर घड़ी रिपेयर मास्टर पेट्र स्काला बताते हैं कि इस घड़ी की मरम्मत एक बहुत पुराने रोगी की सर्जरी करने जैसा है। 
 

घड़ी इन मानवीय लक्षणों को दर्शाती है

71 वर्षीय मि. स्काला ने बताया कि उनकी ऐसी योजना है कि वे इस घड़ी के आंतरिक मशीनरी को आधुनिक मेटल से रिप्लेस कर उसे एक नया लुक प्रदान करें। उन्होंने बताया कि घड़ी के बाहरी रंग में भी थोड़ा बहुत बदलाव किया जाएगा। बताया कि ये घड़ी सबसे खराब मानवीय लक्षणों का प्रतिनिधित्व करते हैं, अभिमान, ईर्ष्या और लालच, करुणा, उदारता। मि. स्काला ने कहा, वे घड़ी को एक असली लुक प्रदान करना चाहते थे।

बताया जाता है कि, पेशे से स्कल्पचर मि. स्काला का घड़ियों से काफी पुराना नाता रहा है। वे कहते हैं कि एक घड़ी समय को मापती है, और समय एक सबसे महत्वपूर्ण गिफ्ट है जो हमें दिया गया है। वे बताते हैं कि जब वे बच्चे थे तो वे दीवारों से घड़ी उतार कर उसे खोल कर पता करने की कोशिश करते थे कि घड़ी कैसे समय को माप सकती है।

घड़ी से संबंधित ये दंतकथाएं हैं प्रचलित

मि. स्काला बताते हैं, मुझे इतिहास पसंद है। 25 वर्ष से प्रमाणित घड़ी मास्टर श्री स्काला ने सोमवार को कहा कि उन्हें आठ साल पहले ओरलोज की देखभाल करने के लिए सम्मानित किया गया था। बताया कि इससे पहले भी कई बार ये घड़ी क्षतिग्रस्त हो चुकी है लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मन सैनिकों से छेड़छाड़ करने के बाद इसे वापस सेवा में लाया गया।

चेक गणराज्य में एक दंतकथा है कि जब यह घड़ी चलनी बंद हो जाएगी तो चारों तरफ अव्यवस्था फैल जाएगी। इसके अलावा एक और किंवदंती है कि जो कोई भी इस घड़ी को छेड़छाड़ की कोशिश करेगा वह मारा जाएगा या पागल हो जाएगा। जब मि. स्काला से पूछा गया कि क्या वे इस तरह के किंवदंतियों पर भरोसा करते हैं उन्होंने कहा कि मैं ऐसी चीजों पर कभी विश्वास नहीं करता हूं।

यह भी पढ़ें : अमेरिकी अखबार में छपा फ्री कराची कैंपेन का विज्ञापन, बौखलाया पाक