केवल पोप ही करेंगे दैवीय दर्शन और चमत्कार की पुष्टि, नए नियमों से परखे जाएंगे ऐसे दावे, वेटिकन ने जारी की नई गाइडलाइन
ईसाइयों के सर्वोच्च धार्मिक स्थल के रूप में लोकप्रिय वेटिकन की ओर से दैवीय आभास और दिव्य दर्शन जैसे अनुभूति की समीक्षा के लिए नई गाइडलाइन्स जारी की गई हैं। अब केवल पोप यानी कैथोलिक चर्च के प्रमुख ही औपचारिक तौर पर किसी घटना को अलौकिक या चमत्कार करार दे सकते हैं। ऐसा घोटालों और धोखाधड़ी पर नकेल कसने के लिए किया गया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ईसाइयों के सर्वोच्च धार्मिक स्थल के रूप में लोकप्रिय वेटिकन की ओर से दैवीय आभास और दिव्य दर्शन जैसे अनुभूति की समीक्षा के लिए नई गाइडलाइन्स जारी की गई हैं। अब केवल 'पोप' यानी कैथोलिक चर्च के प्रमुख ही औपचारिक तौर पर किसी घटना को अलौकिक या चमत्कार करार दे सकते हैं। ऐसा घोटालों और धोखाधड़ी पर नकेल कसने के लिए किया गया है।
नई गाइडलाइन वाले इस डॉक्यूमेंट को 'Norms for Proceeding in the Discernment of Alleged Supernatural Phenomena' नाम दिया गया है। इसमें निर्धारित किए गए मानदंडों के अनुसार ही बिशप दिव्य दर्शन, प्रेत और चमत्कार जैसी अनुभूतियों के दावों की जांच करेंगे, लेकिन गाइडलाइन में यह भी स्पष्ट किया गया है कि केवल वेटिकन ही यह तय कर सकता है कि दावे सच हैं या नहीं।
मालूम हो कि शताब्दियाें से कैथोलिक अनुयायी वर्जिन मैरी की झलक और यीशु मसीह की रोती हुई मूर्तियों जैसे दावे करते आए हैं और अक्सर वेटिकन द्वारा इसे कैथोलिक चर्च के अनुयायियों के बीच विश्वास की पुष्टि के एक तरीके के रूप में देखा जाता रहा है।नए नियम लगभग छह वर्षों में बनाए गए हैं और अलौकिक घटनाओं पर वेटिकन के अंतिम निर्देश की जगह लेते हैं। ये नियम 1978 में जारी किए गए थे, लेकिन 2011 में ही इन्हें सार्वजनिक किया गया था।
हालांकि, डॉक्युमेंट में कहा गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के बढ़ते उपयोग और पवित्र घटनाओं की इंटरनेट मीडिया रिपोर्ट्स ने अनुयायियों को धोखाधड़ी के प्रति संवेदनशील बना दिया है। वेटिकन सिद्धांत कार्यालय के प्रमुख कार्डिनल विक्टर मैनुएल फर्नांडीज ने कहा,
कार्डिनल ने यह साफ किया डॉक्युमेंट का इरादा आत्मा को नियंत्रित करने या दबाने का नहीं है, यह ऐसी घटना के उपयोग के खिलाफ चेतावनी देता है, जो लोगों पर नियंत्रण स्थापित करने या दुर्व्यवहार करने के साधन या बहाने के रूप में लाभ, शक्ति, प्रसिद्धि, सामाजिक मान्यता या अन्य व्यक्तिगत हित हासिल करने के लिए किए जाते हैं। गाइडलाइन्स ऐसी घटनाओं को लेकर एक सख्त अवलोकन प्रदान करती हैं और छह संभावित निष्कर्षों की रूपरेखा प्रस्तुत करती हैं जिनपर उनके बारे में पहुंचा जा सकता है। यहां तक कि वेटिकन कार्यालय से उच्चतम स्तर की मंजूरी भी घटना के बारे में निश्चितता व्यक्त नहीं करती है, लेकिन एक बिशप को अपने पादरी संबंधित मूल्य को बढ़ावा देने की अनुमति देती है। शताब्दियों से वर्जिन मैरी (मदर मैरी) और जीसस क्राइस्ट की ऐसी छवियां और दर्शन के मामले दुनियाभर में उजागर किए गए हैं। श्रद्धालु इन अलौकिक घटनाओं को देखने के लिए इन स्थानों पर आते हैं। पुर्तगाल के फातिमा में तीन छोटे बच्चों ने 1917 में मदर मैरी की झलक देखी थी। वहीं, फ्रांस में लूर्डेस में श्रद्धालु चमत्कारी इलाज की इच्छा लेकर आते हैं। ऐसी रिपोर्ट्स के बाद ये लोकप्रिय तीर्थस्थल बन गए हैं।ऐसी घटना से विश्वासियों के गुमराह होने की संभावना है, जो एक दैवीय पहल से जुड़ी है, लेकिन यह केवल किसी की कल्पना, नवीनता की इच्छा, झूठ गढ़ने की प्रवृत्ति (माइथोमैनिया) या झूठ बोलने की प्रवृत्ति का नतीजा है।