ओपेक प्लस ने आर्थिक कारण से लिया तेल उत्पादन में कमी का फैसला, बाइडन की नाराजगी के बाद सऊदी अरब की सफाई
कच्चे तेल के उत्पादन में 20 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती का निर्णय ओपेक प्लस के सदस्य देशों ने लिया है और इस निर्णय का उद्देश्य विशुद्ध रूप से आर्थिक है। इस निर्णय से विश्व में तेल मूल्य स्थिर बनाए रखने में मदद मिलेगी।
By AgencyEdited By: Amit SinghUpdated: Fri, 14 Oct 2022 05:29 AM (IST)
काइरो, रायटर: कच्चे तेल के उत्पादन में 20 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती का निर्णय ओपेक प्लस के सदस्य देशों ने लिया है और इस निर्णय का उद्देश्य विशुद्ध रूप से आर्थिक है। इस निर्णय से विश्व में तेल मूल्य स्थिर बनाए रखने में मदद मिलेगी। यह बात सऊदी अरब ने अमेरिका के उस आरोप के बाद कही है जिसमें कहा गया है कि उत्पादन में कटौती का फैसला रूस के प्रभाव में लिया गया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक साक्षात्कार में कहा है कि सऊदी अरब को उत्पादन में कटौती का परिणाम भुगतना होगा। अमेरिका का मानना है कि उत्पादन में कटौती कर तेल निर्यातक देशों का समूह ओपेक प्लस रूस की मदद कर रहा है। उत्पादन कम होने से दुनिया में कच्चे तेल का मूल्य ज्यादा रहेगा, इससे सऊदी अरब के बाद तेल का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले रूस को फायदा होगा। इससे रूस पर अमेरिका और पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंध ज्यादा प्रभावी नहीं हो पाएंगे। रूस तेल बिक्री से होने वाले आर्थिक लाभ का उपयोग कर यूक्रेन में युद्ध जारी रखेगा।
अमेरिका सऊदी अरब के नेतृत्व वाले ओपेक पर यूक्रेन युद्ध के शुरू होने के समय से ही तेल उत्पादन बढ़ाने के लिए दबाव डाल रहा है। लेकिन रूस के नेतृत्व वाले प्लस देशों के समूह के साथ मिलकर ओपेक उत्पादन बढ़ा नहीं रहा। इसका नतीजा है कि सात महीने से ज्यादा के युद्धकाल में तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत कम नहीं हुई। हाल ही में ओपेक प्लस के उत्पादन में 20 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती के एलान से अमेरिका आग बबूला है। इस फैसले से दुनिया में तेल की कीमत जल्द कम होने की संभावना खत्म हो गई है। अब निकट भविष्य में तेल मूल्य 100 डालर प्रति बैरल के करीब ही रहने की उम्मीद है।
अमेरिका के सत्ता पक्ष में सऊदी अरब के साथ संबंधों की समीक्षा करने और पुराने समझौते तोड़ने जैसी मांगें उठ रही हैं। बाइडन और उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी की चिंता नवंबर में होने वाले मध्यावधि चुनाव को लेकर है। महंगाई को लेकर चुनाव में उन्हें मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उत्पादन कम करने का फैसला सदस्य देशों की सहमति से लिया गया है। यह पूरी तरह से आर्थिक आधार पर लिया गया फैसला है। यह फैसला मांग और आपूर्ति की स्थिति को देखते हुए लिया गया है। इसका कोई राजनीतिक कारण नहीं है। अगर इस फैसले में देरी की जाती तो उसके आर्थिक दुष्परिणाम सामने आते।