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UN में पाक को फिर खरी-खरी, कश्मीर का जिक्र कर फंसा पड़ोसी मुल्क, भारत ने लताड़ लगाते हुए कहा- ध्यान भटकाने की कोशिश न करें

पाकिस्तान किसी इंटरनेशनल मंच पर हो और कश्मीर का मुद्दा न उठाए ऐसा हो नहीं सकता। पाकिस्तान के इस हरकत से भारत पूरी तरह वाकिफ है साथ ही साथ समय-समय पर पाकिस्तान की क्लास लगाता रहता है। वहीं बाज न आने वाला पाकिस्तान बार-बार ऐसी हरकतें करता रहता है। इस बार भी पाकिस्तान ने UNमें भी पाकिस्तान की ओर से कश्मीर मुद्दा उठाया गयाजिसे लेकर भारत ने आपत्ति जताई है।

By Agency Edited By: Babli Kumari Updated: Thu, 27 Jun 2024 10:54 AM (IST)
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संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप प्रतिनिधि आर रवींद्र (फोटो- ANI)
एएनआई, न्यूयॉर्क। पाकिस्तान की ओर से संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर का जिक्र किए जाने के बाद भारत ने पड़ोसी देश की आलोचना की है। भारत ने जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान की 'निराधार टिप्पणियों' की निंदा की है। भारत ने पाकिस्तान द्वारा कश्मीर पर किए गए बयानों को राजनीति से प्रेरित और निराधार बतलाया है। भारत ने पाकिस्तान पर हमला करते हुए कहा कि यह उसके अपने देश में बच्चों के खिलाफ जारी गंभीर उल्लंघनों से ध्यान हटाने का एक और आदतन प्रयास है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर खुली बहस के दौरान, संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप प्रतिनिधि आर रवींद्र ने बुधवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न और अलग-अलग हिस्से हैं।

'सभी निराधार टिप्पणियों को पूरी तरह से खारिज करता हूं'

बहस के दौरान अपनी टिप्पणी समाप्त करने से पहले, आर. रविन्द्र ने कहा कि मैं समय की बचत के लिए उन टिप्पणियों पर संक्षेप में प्रतिक्रिया देना चाहता हूं जो स्पष्ट रूप से राजनीति से प्रेरित और निराधार हैं, जो मेरे देश के खिलाफ एक प्रतिनिधि द्वारा की गई हैं। मैं इन निराधार टिप्पणियों को पूरी तरह से खारिज करता हूं और उनकी निंदा करता हूं। उन्होंने आगे कहा, "यह कुछ और नहीं बल्कि बच्चों के खिलाफ गंभीर उल्लंघनों से ध्यान हटाने का एक और आदतन प्रयास है, जो उनके अपने देश में बेरोकटोक जारी है, जैसा कि बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर इस वर्ष के महासचिव की रिपोर्ट में उजागर किया गया है। जहां तक ​​केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का सवाल है, वे भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा थे, हैं और हमेशा रहेंगे। भले ही यह विशेष प्रतिनिधि या उनका देश कुछ भी मानता या चाहता हो।

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