दक्षिण कोरिया सरकार के लिए हर बार अपशगुन साबित हुई है उत्तर कोरिया से हुई वार्ता
इतिहास गवाह है कि उत्तर कोरिया से चाहे अमेरिका ने वार्ता की हो या दक्षिण कोरिया ने, वह हमेशा ही विफल रही है। इतना ही नहीं दक्षिण कोरिया के लिए तो हर वार्ता ही अपशगुन साबित होती रही है।
नई दिल्ली स्पेशल। कोरियाई देशों के बीच विंटर ओलंपिक ने जो शांति की राह खोली थी वह अब अपने मुकाम की तरफ जाती दिखाई दे रही है। इस माह की 29 तारीख को उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच वार्ता होनी है। इसमें दोनों देशों के तीन-तीन प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। दक्षिण कोरिया ने इसकी जानकारी दी है। उत्तर कोरिया के दल का प्रतिनिधत्व वहां फादरलैंड समिति के चेयरमैन री सोन क्वोन और दक्षिण कोरिया की तरफ से वहां के एकीकरण मंत्री म्योंग-ग्योन करेंगे। इसके बाद मई में अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच वार्ता होनी है। लेकिन इतिहास गवाह है कि उत्तर कोरिया से चाहे अमेरिका ने वार्ता की हो या दक्षिण कोरिया ने, वह हमेशा ही विफल रही है। इतना ही नहीं दक्षिण कोरिया के लिए तो हर वार्ता ही अपशगुन साबित होती रही है।
उत्तर और दक्षिण कोरिया में वार्ता
वर्ष 2000 में उत्तर और दक्षिण कोरिया के प्रमुखों की मुलाकात प्योंगयांग में हुई थी। उस वक्त उत्तर कोरिया पर मौजूदा तानाशाह किम के पिता किम जोंग इन का शासन था। दक्षिण कोरिया की तरफ से वहां के प्रुमख किम डे जंग प्योंगयांग पहुंचे थे। दोनों देशों के आजाद राष्ट्र बनने के बाद से यह उनकी पहली मुलाकात भी थी। यह मुलाकात काफी अच्छे माहौल में हुई थी। इस दौरान यह भी समझौता हुआ कि दक्षिण कोरिया उत्तर कोरिया के केसोंग में फैक्ट्री और पार्क स्थापित करेगा। लेकिन इस मुलाकात के बाद दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति की छवि को गहरा धक्का लगा। दरअसल, इस मुलाकात के बाद यह बात सामने आई थी कि मुलाकात से पहले दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया को 450 मिलियन डॉलर की राशि दी थी।
2007 में हुआ दो कोरियाई देशों में समझौता
2007 में एक बार फिर से दोनों कोरियाई देशों के प्रमुखों के बीच वार्ता हुई थी। इस बार किम जोंग इल और रो मो ह्यून इस बैठक में शामिल हुए थे। यह बैठक भी काफी अच्छे माहौल में हुई और दोनों देश एक समझौते पर भी पहुंच गए थे। इस बैठक में दोनों देशों के बीच तनाव कम करने, समुद्री सीमा सुरक्षा को मजबूत करने पर समझौता हुआ था। लेकिन कुछ समय में बाद रो मू की सरकार गिर गई और इस डील का हाल भी पहले की ही तरह हुआ था।
तनावपूर्ण रहे संबंध
2007 के बाद ऐसा कोई मौका नहीं आया जब बातचीत को लेकर किसी ने भी आगे बढ़ने की पहल की हो। इस दौरान दोनों देशों के संबंध भी तनावपूर्ण रहे। यहां तक की बीते दो वर्ष में तो दोनों देशों के बीच शत्रुता इस कदर बढ़ गई थी कि दोनों ही देशों ने अपनी सुरक्षा के लिए घातक मिसाइलें तैनात कर ली थीं। बीते पांच वर्षों में उत्तर कोरिया की तरफ से लगातार परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जाता रहा है। इस दौरान कई मिसाइल परिक्षण और परमाणु परिक्षण भी किए गए। इसके अलावा अमेरिका ने अपनी घातक मिसाइल थाड को भी दक्षिण कोरिया में तैनात कर दिया था। हालांकि इसको लेकर चीन ने अपनी कड़ी नाराजगी भी जताई थी।
गैर सैन्य क्षेत्र में होगी वार्ता
फिलहाल जिस वार्ता के लिए दिन सुनिश्चित किया गया है उसको पहले दक्षिण कोरिया के गैर सैन्य क्षेत्र के पनमुनजोम गांव में आयोजित करने का प्रस्ताव दिया गया था। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने इस वार्ता से पहले उम्मीद जताई है कि भविष्य में दोनों कोरियाई देश बिना किसी तीसरे देश की दखल के शांति से रह सकेंगे और विकास की राह पर आगे बढ़ सकेंगे।
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