पैर में ताला, गर्दन में लोहे की दराती...वैज्ञानिकों ने बताया कैसा था 400 साल पुरानी पोलैंड की उस Vampire का चेहरा?
नॉर्थन पोलैंड के कब्रिस्तान में दफनाई गई एक लड़की जिसका नाम जोसिया था। इस महिला को लेकर आस पास रहने वाले लोगों को लगता था कि जोसिया एक वैम्पायर हैं। वहींअब डीएनए 3D प्रिंटिंग और मॉडलिंग क्ले का इस्तेमाल करते हुए वैज्ञानिकों की एक टीम ने जोसिया के 400 साल पुराने चेहरे को फिर से बनाया है। जिसमें उनकी नीली आंखें गोरी त्वचा को दिखाया गया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नॉर्थन पोलैंड के कब्रिस्तान में दफनाई गई एक लड़की, जिसका नाम जोसिया था। उन दर्जनों लोगों में से एक थी, जिनके बारे में उनके पड़ोसियों को डर था कि वह वैम्पायर है।
अब, डीएनए, 3D प्रिंटिंग और मॉडलिंग क्ले का इस्तेमाल करते हुए वैज्ञानिकों की एक टीम ने जोसिया के 400 साल पुराने चेहरे को फिर से बनाया है, जिसमें उसे गोरी त्वचा, नीली आंखों और एक विशिष्ट उभरे हुए दांत के साथ चित्रित किया गया। जिसके बाद पुरानी मान्यताओं में दबी कहानियों का खुलासा हुआ है।
स्वीडिश आर्कियोलॉजिस्ट ऑस्कर निल्सन ने कहा, यह एक तरह से वाकई बहुत मजाकिया है कि उसे दफनाने वाले लोगों ने उसे मरने के बाद वापस आने से रोकने के लिए हर मुमकिन कोशिश की है और हमने उसे वापस जिंदा करने के लिए हर मुमकिन कोशिश की।
स्थानीय लोगों द्वारा “जोसिया” नाम की महिला को सोने या चांदी से पिरोए गए रेशमी हेडड्रेस के साथ दफनाया गया था।दरअसल, साल 2022 में टोरुन की निकोलस कोपरनिकस यूनिवर्सिटी के आर्कियोलॉजिस्ट्स की एक टीम ने जोसिया की खोपड़ी का एनालिसिस किया, जिससे पता चलता है कि उसकी मौत के समय उसकी उम्र करीब 18-20 साल थी और वह किसी बीमारी से जूझ रही थी, जिसकी वजह से उसे बेहोशी और तेज सिरदर्द के साथ-साथ मेंटल हेल्थ की परेशानियां भी हो सकती हैं।
दरांती, ताला भी कंकाल के साथ मिला
निकोलस कोपरनिकस टीम के मुताबिक उसकी कब्र पर पाई गई दरांती, ताला और कुछ लकड़ियों में उस समय वैम्पायर की रक्षा करने के लिए कुछ जादुई गुण माने जाते थे। जोसिया की कब्र उत्तरी शहर ब्यडगोस्जकज के बाहर, पिएन में कब्रिस्तान में कब्र नंबर 75 थी। साइट पर बाकी शवों में से एक वैम्पायर चाइल्ड भी था, जिसे नीचे की ओर मुंह करके दफनाया गया था और पैर पर भी ताला लगा हुआ था।
कहा जाता है कि ग्रामीणों ने उसकी कब्र को फिर से खोला, तो पाया कि ताला खुला हुआ था। डर के मारे, उन्होंने उसकी गर्दन पर दरांती बाँध दी, जिसका उद्देश्य था कि अगर वह उठने की कोशिश करती तो उसका सिर काट दिया जाता।इस तरह की दफनाने की रस्में 17वीं शताब्दी में पोलैंड में आम थीं, जो "पिशाच" के प्रति भय की लहर से प्रेरित थीं, जैसा कि टीम का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर डेरियस पोलिंस्की ने बताया।