Nord Stream 1 से रुकी गैस की सप्लाई तो जर्मनी की सांस अटकी, रूस की वजह से चलता है यूरोप के विकास का पहिया
नार्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन में आई समस्या की वजह से जर्मनी को होने वाली रूस की गैस सप्लाई ठप हो गई है। इसकी वजह से जर्मनी की परेशानी बढ़ गई है। पाइपलाइन की मेंटेनेंस में दस दिन लगने की संभावना है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 11 Jul 2022 04:31 PM (IST)
बर्लिन (एजेंसी)। रूस और यूक्रेन के पांच माह से जारी युद्ध से यूरोप की हालत पहले ही खराब है, वहीं यूरोप को होने वाली गैस सप्लाई का माध्यम बनी नोर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन से गैस की सप्लाई भी रुक गई है। इसकी वजह इसमें आई खराबी है। इस पाइपलाइन की रिपेयर में दस दिन का समय लगेगा। बता दें कि जर्मनी यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जर्मनी
जर्मनी रूस की गैस का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। हालांकि, समूचा यूरोप ही रूस की गैस पर निर्भर रहता है। जर्मनी समेत दूसरे देशों में घरों को गर्म रखने के लिए इस गैस का अधिकतर इस्तेमाल किया जाता है। यूक्रेन से जारी युद्ध में यदि पश्चिमी देशों ने रूस पर किसी तरह का दबाव बनाने की कोशिश की तो रूस इस गैस पाइपलाइन को एक हथियार के रूप में भी इस्तेमाल कर सकता है। यदि ऐसा हुआ तो यूरोप की अर्थव्यवस्था बदहाली की कगार पर पहुंच सकती है।
नार्ड स्ट्रीम 1 से होती है जर्मनी को गैस सप्लाई पिछले वर्ष भी इस गैस की सप्लाई बाधित हुई थी। युद्ध के चलते पहले से ही युद्ध उस रूप में सप्लाई नहीं की जा रही है जिस तरह से ये पहले की जाती थी। जर्मनी इस बात को लेकर भी चिंतित है कि दस दिन बाद भी इसकी सप्लाई होगी या नहीं। नार्ड स्ट्रीम 1 से जर्मनी को हर वर्ष करीब 55 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस की सप्लाई होती है। ये गैस सप्लाई बाल्टिक सागर के जरिए बिछी पाइपलाइन के माध्यम से की जाती है।
कम शुरू होगी गैस सप्लाई पता नहीं Bundesnetzagentur के प्रमुख क्लोस मुलर का कहना है कि इसकी खराबी और मेंटेनेंस को देखते हुए जर्मनी में फिलहाल गैस की सप्लाई पूरी तरह से बंद है। उन्होंने ये भी कहा कि फिलहाल ये कितने दिन में ठीक हो जाएगी और रूस की तरफ से गैस की सप्लाई कब से शुरू होगी इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। जर्मनी के एनर्जी रेगुलेटर समेत सरकार और उद्योग जगत की भी इस वजह से चिंता बढ़ गई है। रूस और यूक्रेन युद्ध ने भ जर्मनी की चिंता बढ़ा दिया है।
उद्योग जगत की चिंता स्वाभाविक मुलर के मुताबिक उन्होंने देश की विभिन्न इंडस्ट्रीज से गैस की समस्या को लेकर मार्च में ही कई बार खत लिखे थे, लेकिन उद्योगपतियों का कहना था कि वो गैस पर पूरी तरह से निर्भर है। इसके बिना कुछ नहीं कर सकेंगे। मुलर ने ये भी कहा कि वो उनकी परेशानियों को समझते हैं लेकिन अब देश में गैस का भंडार बेहद कम बचा है। इसलिए परेशानी होना स्वाभाविक है।